गुहार:- नीरा गर्ग
कुछ पल बुजुर्गो के लिए निकाला करो |
ख्वाबो को उनके संवारा करो||
वे पके फल है, गिर जायेगे|
फिर ना कभी सपने मे आएगे ||
कुछ पल बुजुर्गो के लिये निकाला करो |
भूत के खंभो पर ही भविष्य है |
इनके अरमानो को पूरा करो|
इनके आशिर्वादो से है हरियाली
जिन्होने अब तक बगियॉ सम्भाली |
दूर खडे रह जाओगे |
पंछी का क्या उड जायेगा||
बीता कल ना वापस आयेगा|
कुछ पल बुजुर्गो के लिये निकाला करो |
ख्वाबो को उनके सवारा करो||
कोठी बंगल यही सब रह जायेगा|
बीता पल न वापस आयेगा||
ये जीवन तो पीनी का बुलबुला है|
प्रात: तारे सा छिप जायेगा|
कुछ पल बुजुर्गो के लिये निकाला करो||
एक दिन तो सबको ढलना है
यही बात तुमको समझना है
बुजुर्ग तो जीवन की छतरी है
शीतलता यहां पसरी है|
कुछ पल बुजुर्गो के लिये निकाला करो|
फैली है आशीर्वाद की ताकत
देवता भी इसे न मिटा पाते
कुछ पल बुजुर्गो के लिये निकाला करो|
उनके मुख पर मुस्कुराहट दो |
✍️ नीरा गर्ग
सहारनपुर उत्तरप्रदेश
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