5/23/22

नैनों के बिखरे मोती:- गौतम केशरी परवाहा

साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है। साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे।

 कविता-नैनों के बिखरे मोती!


नैनों के बिखरे मोतियों को सहज लुटाता है ।

दुख की सीमा घायल अंतर्मन यूँ सताता है ।

पीड़ा जो है तेरे मन का बूंदों में क्यों बरसाए ।

चोट जो है घाव गहरी आघात दिल को लग जाए ।

देख जमाना तेरे मन का दर्द न जाना है ।

है जो तेरे सब पराए अपनों को कब पहचाना है?

पत्थरों को पूजता है मूरत बनाता है ।

नैनों के बिखरे मोतियों को सहज लुटाता है ।।


पास जब था , तुम भी थे वो मुस्कुरायी थी ।

चाँद के रूप देखकर एक सूरत छुपाई थी ।

दूर किंतु वो पराए अब हुए अजनबी ।

उसकी यादों में सिमटी फूलों की हँसी ।

पूछता है बाग की खुशबू नभ के ये बादल ।

जब मिले थे दो दीवाने अब हुए पागल ।।

लहरों और आंधियों में जब कोई घर बनाता है ।

नैनो के बिखरे मोतियों को सहज लुटाता है ।।


मधु के प्यालो में क्या पाए साकी मधुशाला ।

मन के संताप को मिटाने देह जवानी धर डाला ।

मदहोश होकर यादों में भूल ना पाए एहसासों को ।

छीन लिया जिन पलकों ने मन के विश्वासों को ।

जलती है जब भी मशाल लगे आत्मा में आग ।

जलने से पहले बुझा दिया तेरे घर का चिराग ।

कोई किसी से नेह लगाए तो दिल जलाता है ।

नैनो के बिखरे मोतियों को सहज लुटाता है ।।


हुए थे जब अलग तुम पतझड़ भी रोया था ।

कोयलों ने गीत ना गायी , मधुवन भी सोया था ।

वो पुराना था बहाना अब याद आता है ।

चाँद से जब कोई अपना रूप को चुराता है ।

दाग जिनके दामन पे है , तो हकीकत नाज नही ।

नफरतों के फूल खिलते चाहतों की आस नही ।

भर-भर के वो पैमाना अब छलकाता है ।

नैनो के बिखरे मोतियों को सहज लुटाता है ।।

  

 गौतम केशरी परवाहा ,

 फारबिसगंज अररिया(बिहार)

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