5/4/22

सिद्धेश्वर की लघुकथा "सिमटती दूरियां"का फिल्मांकन

बिहार के लेखक सिद्धेश्वर की लघुकथा "सिमटती दूरियां"का फिल्मांकन

                 पटना :  बिहार के चर्चित फिल्मकार अनिल पतंग द्वारा देशभर के लघुकथाकारों की  लघुकथाओं पर  बनाई जा रही लघु फिल्में, लघुकथा आंदोलन का एक हिस्सा बनती जा रही है l  आज के इस व्यस्त समय में,  बड़ी फिल्में देखने की जिन्हें फुर्सत नहीं,  उनके लिए ऐसी लघु फिल्में कामयाब साबित हुई है, जो चार -पांच  मिनटों में,  दर्शकों के हृदय को झकझोर कर,  एक प्रेरक सन्देश  दे जाती है !

                   


                हाल ही में,  बिहार के वरिष्ठ कथाकार सिद्धेश्वर की लघुकथा " सिमटती दूरियां "का फिल्मांकन निर्माता निर्देशक और अभिनेता अनिल पतंग ने किया है,  जो उनके यूट्यूब चैनल पर  खूब पसंद की जा रही है l  अपनी लघुकथा के फिल्मांकन के अवसर पर,  सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये l

                                उन्होंने कहा कि  साहित्य में जहां चमचागिरी  और खेमेबाज़ी  के बदौलत,  फिल्में बनाई जा रही है और पाठ्यक्रमों में  जबरन  अपनी रचना लगवाई जा रही है,  वहीं पर रचनाओं की श्रेष्ठता  के आधार पर,  लघुकथाओं का चयन कर,  बंबइया फिल्मों  के तर्ज पर साहित्यिक लघु फिल्में बनाने का यह अभिनव प्रयास कई मायने से अनिल पतंग को, उस भीड़ से अलग ला खड़ा करता है,  जो लघुकथा के इतिहास में अपनी अहम् भूमिका  निभाएगा l

                     अपनी "  सिमटती दूरियां " लघु फिल्म के प्रदर्शन के अवसर पर  कथाकार सिद्धेश्वर ने कहा कि  कोरोना काल के दौरान देश में घटित एक  सच्ची घटना पर आधारित  यह  लघु फिल्म यह संदेश दे जाती है कि

 घर की बहू चाहे तो अपने ससुर को भी अपने पिता के समान पूरा सम्मान और सहयोग दे सकती है l  दिल में प्यार और  अपनापन हो तो रिश्तों की दूरियां  भी सिमट जाती है ! 

♦🔮♦🔮♦♦📼 प्रस्तुति :ऋचा वर्मा ( सचिव. : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद /पटना /

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