5/30/22

बाते करती वे बहुत:- मानव


 दोहे: 

मेरा घर तो यूं पड़ा, लेकिन उनका प्यार,

वे तो हमको बोलकर, यूं फिर कुछ ना यार। 


बाते करती वे बहुत , कम हमसे तो हाय!

उनको यह बोलो सभी, सब मिलकर समझाय। 


मैं जब जाऊंगा वहां, लाऊंगा मैं भेट,

सबको दूंगा तोहफ़ा,बनकर कोई सेठ। 


यह जग भी झूठ है, कुछ भी सच है बोल,

क्या बोलेगा लोग अब, खोया है सब मोल। 


सारा जग है अब अमन, नाही कोई शोर,

क्यों है ऐसा अब समां, किसका है ये होड़। 


रोदन आता है मुझे, तेरे ख़ातिर अब दोस्त,

तू मेरा ही अंश है, डमी तेरा गोश्त। 


प्यारी धुन बज वो रही, सुंदर सा है राग,

आया मानो वो समा, मौसम है यह फाग। 

मानव

(न्यू बोंगाईगांव)

(ज़िला: बोंगाईगांव)


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