5/23/22

हम में है दम:- प्रज्ञा आम्बेरकर

साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है। साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे।


कविता ‌का शीर्षक ~ हम में है दम

विधा‌ ~ छंद मुक्त कविता


मां भारती! 

तेरी रक्षा हेतु,

मर मिटेंगे मां,

हम पर कृपा कर,

हम में है दम।


मां भारती!

तू भारत की शान,

तू भारत की आन,

तू भारत का मान,

तू भारत का सम्मान,

हम पर कृपा कर,

हम में है दम।


मां भारती!

इतनी सस्ती नहीं आज़ादी,

हमने दी कुर्बानी,

हमने किया समर्पित,

तन-मन-धन,

तब मिली आजादी,

हम पर कृपा कर,

हम में है दम।


मां भारती!

तेरी रक्षा हेतु,

हम प्रतिबद्ध है,

जब-जब पड़े का,

संकट देश पर, 

हम अपने प्राण त्याग देंगे,

हम पर कृपा कर,

हम में है दम।


प्रज्ञा आम्बेरकर,

स्वरचित मौलिक कविता।

मुंबई, महाराष्ट्र, भारत।

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