5/15/22

सच्चा दोस्त :-(बाल कहानी)-डॉ.आभा माथुर

सच्चा दोस्त :-(बाल कहानी)-डॉ.आभा माथुर

पिंकू को जानवरों से प्यार था , विशेषकर कुत्ते तो उसे बहुत पसन्द थे । पिंकू की मम्मी को जानवरों से बिलकुल प्रेम नहीं था ,उलटे जानवरों से घृणा थी इस कारण पिंकू बहुत इच्छा होने पर भी कुत्ता नहीं पाल सकता था।

        एक बार बहुत ज़ोर की ठंड में पिंकू ने एक कुत्ते को खुले मैदान में गीली ज़मीन पर बैठे देखा।

कुत्ता बहुत दुर्बल दिख रहा था जैसे उसे बहुत दिनों से खाना न मिला हो । शायद

दुर्बलता के कारण ही वह गीली ज़मीन से उठ कर  नहीं जा सका था । उसके पैर में चोट भी लगी दिख रही थी  जहां से ख़ून निकलता दिख रहा था। पिंकू को लगा कि किसी कारण से चोट लग जाने पर कुत्ते को वहां बैठना पड़ा होगा । बाद में वह उठ नहीं पाया और खाना न मिल पाने के कारण दुर्बल होता चला गया । पिंकू को लगा कि ठंड , भूख और चोट के सम्मिलित प्रभाव से उस कुत्ते का मरना तय था ।

उसने घर लौट कर सारी बात अपनी मम्मी को बताई । पिंकू की मम्मी भले ही जानवरों को छूना पसन्द नहीं करती थीं पर उनके हृदय में दया बहुत थी । उन्होंने सवेरे के खाने की बची हुई दो रोटियां कुत्ते के लिये दे दीं। पिंकू दौड़ कर वे रोटियां कुत्ते को

खिला आया । कुत्ते ने उठने की कोशिश की पर उठ नहीं पाया । पिंकू ने यह बात अपनी मम्मी को बताई और कुत्ते के लिये कुछ और देने की प्रार्थना की । इस बार मम्मी ने उसे

चार रस्क दिये । वे रस्क कुछ जले हुए से होने के कारण किसी ने खाये नहीं थे । उस बार रस्क का पूरा पैकेट ही थोड़ा जला हुआ सा निकला था इसलिए घर में दूसरा पैकेट आ गया था

और वे रस्क डिब्बे में भरे रखे थे ।

        मम्मी से मांग मांग कर पिंकू ने वह सब रस्क कुत्ते को खिला दिये।

मम्मी ने पिंकू को थोड़ा पुराना पर साफ़ कपड़ा और एक रुई के फाहे में डिटॉल लगा कर दिया और कुत्ते के पट्टी बांधने को कहा । पिंकू ने थोड़े रस्क बचा कर पहले कुत्ते की चोट पर पट्टी बांध दी । कुत्ते ने भी रस्क के लालच में पट्टी बंधवा ली । 

बचे हुए रस्क खाने के बाद

कुत्ते में इतनी शक्ति आ गई थी कि वह उठ कर खड़ा हो गया और लंगड़ाता हुआ वहां से चला गया ।

पिंकू को लगा कि अब वह कुत्ता मरेगा नहीं । गीली ज़मीन से तो वह निकल ही गया था । शायद अपना खाना भी वह ढूंढ लेगा ।

         घर लौटने के बाद पिंकू की मम्मी ने सबसे  पहले उसे गर्म पानी से नहलवाया ,पूरे कपड़े (स्वेटर तक)बदलवाये ,तब

जा कर उसे खाना दिया।

और हां अगले दिन उसे इंजेक्शन भी लगवा दिया

जिससे कि यदि कहीं पर कुत्ते का नाख़ून लग गया हो तो उसका बुरा प्रभाव न हो। पिंकू को अब भी वह कुत्ता  दिख जाता है। पिंकू को देख कर वह उसके पास आ जाता है और अपनी पूंछ हिलाता है जैसे उस दिन की घटना का धन्यवाद दे रहा हो। पिंकू को लगता है कि उसके दोस्त तो बहुत हैं पर सच्चा

दोस्त यह कुत्ता ही है ।

                   ✍️ *डॉ.आभा माथुर*

         सेवा निवृत्त प्राचार्य डायट हाथरस

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