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शीर्षक,,
।।समय का तमाचा।।
समय का तमाचा
पड़ा मेरे गाल
तभी तो बुरा है
बहुत मेरा हाल !
अपने पराए
अब हो गए हमारे
जो थे पराए
अब हमें अपने लगे !
समय ने सितम
ढाया है मुझ पर
मुझे अब देखकर
गूंगें तक गीत गाने लगे !
जो बहरे हैं कानों से
बिना सुने करुण क्रंदन
मन ही मन अपने
अब मुस्कुराने लगे है !
बुरा वक्त आते ही
जो अच्छे लोग थे
उनकी निगाहों में
अब हम बहुत बुरे हो गए !
धीरज मैं रखा हूं
आपा ना खोया
समय का इंतजार
हम अभी कर रहे हैं !
बुरा वक्त आया है
अच्छा भी आएगा
ईश्वर पर भरोसा
हम केवल किए हैं !
छल से हमें बेशक
हरा दिया है उसने
लेकिन फिर भी मैंने
अभी हार माना नहीं हूं !
समय ना रुका है
ना ही कभी रुकेगा
समय तो निरंतर
चलता रहेगा !
जब तक रहेगा
काया में प्राण मेरे
तब तक मैं ऐसे
मुस्कुराता रहूंगा !
पिता और माता
प्रथम गुरु थे
उन्हीं के बताएं
हम राहों पर चलते हैं
✍️ होरीलाल उत्तरप्रदेश
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