साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है। साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे।
ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
भटक रही थीं अब तक जिंदगी की गलियों में,
जब से तुझे पाया, जीवन का सार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
शुक्रिया बार-बार तेरा, जो तूं मेरी जिंदगी में आई,
कभी न टूटने वाला एतबार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
दोस्त कभी ऐसा मिला नहीं, जो उम्र भर साथ दे,
तेरे रुप में “बिटिया” वो यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
खुशियाँ मिली इतनी की झोली में समाती नहीं,
तेरे आने से खुशियों का संसार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है कहने का अधिकार मिला मुझको।
✍️ पियूषा शर्मा
मध्यप्रदेश
हमारे व्हाट्सएप से जुड़ें.. | हमारे यूट्यूब से जुड़ें |
सूचना:- साक्षात्कार देने हेतु यहाँ क्लिक करें
👆👆
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश (पूर्णियां, बिहार)
No comments:
Post a Comment