मैया मोरी
मैया मोरी विनती सुन लेना,
मनोकामना पूरी कर देना।
मैया विपदा मोरी हर लेना,
सुख समृद्धि भर देना।
पहाड़ों के बीचों-बीच,
विराजी मैया मोरी।
अति सुन्दर भवन बनो है,
मैया को भजन कीर्तन अखण्ड लगों हैं।
दूरन दूरन से आश लगाऐं,
मैया तुमरे द्वारें आऐं।
मैया के दर्शन से जीवन ये धन्य भयो,
सबसे प्यारों मैया को धाम भयो।
मन हर्षित और मुदित भयो,
मन के विकार दूर भयो।
श्वेत मुकुट धारण कियें,
अति सुशोभित होयें।
पान, सुपारी,ध्वजा, नारियल,
लेके मैया तुमरे द्वारें आऐं।
तुमसे बड़के कोऊ न हरसिद्धि मैया,
जन्म मरण तुम पर होयें हरसिद्धि मैया।
मन की व्यर्था
ये नंदलाल के बबुआ
अब तो दरस दिखा जा...
तुहरा विन अब चैन न आवे
थाडी याद बहुत सतावे
ये बबुआ अब तो दरसन दिखा जा
श्याम रंग अति शोभित
तन पर मन वा उसकी धुन मा रे
में तो सुध बुध भुल गयो रे
नंद के लाल मोहे अब तो दरस दिखा जा
ज्यों ज्यों मनवा शांत होत है
ज्यों ज्यों दरसन की आश बढ़त हैं
श्याम बाल रुप में आ जाओ
हमरी छाती से लग जायो
जा तन की अग्न बुझा जाओ
हमको दरस दिखा जाओ
श्याम रंग में रंग लिए
मुंह माखन लपटाय लिए
श्याम माखन खाएं में पकड़ाय गयो
मैया से दाट खाएं गयो
बड़ा सीधा,साधा,नेक लागे कान्हा...
गोपियां झूठ बोल रही
मोरी मैया मैंने माखन नहिं खायों
से सब झूठ कहत है,
मैया यह सब मुझसे चिढ़ती है, जलतीं है,साथ नहिं खेलत है।
जा से सुनकर गोपियां बड़ी दाट लगवात है,
फिर कान्हा को मनात है।
ये मेरो कन्हाई मान जा क्यों हठ करत है,
मोहि से काहे नहिं बतियावत है।
विशाल लोधी
ग्राम मगरधा
तहसील पथरिया
जिला दमोह मध्यप्रदेश
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