शीर्षक:- तन-मन को निरोग करें
मनुष्य रूपी अल्भ्य देह पाने वाले
नित नए नए इतिहास गढ़ने वाले,
अपने पावन स्वराज्य मातृभूमि हेतु,
इस जग में परचम लहराने वाले,
चल योग करें, हम योग करें
अपने तन-मन को निरोग करें।।
हरी भरी है यह वसुंधरा हमारी,
स्वस्थ रहें तो सबको लगती प्यारी,
पाया है योग का वरदान हमने,
उसका सभी नित उपयोग करें,
चल योग करें, हम योग करें
अपने तन-मन को निरोग करें।।
योग से मिलता हमें ढेरों लाभ,
मन होता स्वच्छ व तन होता स्वस्थ,
सांस अंदर बाहर कर प्राणायाम करें,
प्रकृति से प्रिय खुद को जोड़ें,
चल योग करें, हम योग करें
अपने तन-मन को निरोग करें।।
@हरे कृष्ण प्रकाश
( पूर्णियाँ बिहार )
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