6/23/22

श्री गणेश जी पर कुछ बेहतरीन कविता| साहित्य आजकल मध्यप्रदेश पटल द्वारा आयोजित दैनिक कार्यशाला की प्रकाशित रचना।



( 1 )

माँ शारदा के श्री चरणों में नमन

दिनांक: २२/०६/२०२२

शीर्षक:-श्री गणपति महाराज- सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'

हे बिघ्नहरण श्री गणपति महाराज

करो बिना बिघ्न के पूरन सब काज

हे प्रथम् पूज्य हे सुखकर्ता

हे मंगलकारी हे दुःखहर्ता

हे रिद्धिविनायक हे सिद्धिविनायक

हे लम्बोदर हे अष्टविनायक

हे गौरीनन्दन् हे देव सहायक

सरल सहज और सबसे सम्यक

हे विघ्नेश्वर हे भालचन्द्र

गाउँ नित भजन तुम्हारा,

प्रभु हमको ऐसा दो वर

हे गजानन हे बुद्धि के दाता 

जो भी ध्यावे मन से, सुख सम्पति वैभव है पाता

करते ही आपका सुमिरन 

कट जाये सब भव् बंधन

✍️ सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'

गोंडा उत्तरप्रदेश

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( 2 )

जय श्री गणेश- अंजनी त्रिपाठी 'गर्ग'

विघ्न हरण मंगल करण

गौरी पुत्र गणेश

तीनों देव पधारिये

ब्रह्मा विष्णु महेश।।


हे गजबदन गौरी सुत नायक

कृपा करहु इच्छित वरदायक।।


प्रथम पूज्य तुम हो जग दाता

ऋद्धि सिद्धि के भाग्य विधाता।।


पल में संकट नाथ निवारों

उलझन से हमें उबारों।।


तुम्हरी महिमा सब जग गावे

श्रद्धा भक्ति से नर ध्यावे।।


लड्डू मोदक तुमको प्रिय स्वामी

कृपा करहु अब अंर्तयामी।।


करत *अंजनी* तुमको वंदन

शंकर सुवन भवानी नंदन।।

✍️ *अंजनी त्रिपाठी 'गर्ग'*

हरिद्वार उत्तराखंड

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( 3 )

गणेश वन्दना:- रश्मि श्रीवास्तव 'सुकून'

विघ्न हरण मंगल करन 

जय जय जय श्री गणेश 

माता जिनकी पार्वती 

पिता हैं महेश 

स्वागत तुम्हारी भवानी नंदन 

लगाकर रोली और चंदन

करते हैं हम सब अभिनंदन 

जय जय जय जय गणेशा 

जय जय जय जय  गणेशा         

          चारो वेदों के हो ज्ञाता 

सद बुद्धि के हो प्रदाता

पार नही कोई पाता ।

जय जय जय जय  जय गणेशा 

         लम्बोदर तुम कहलाते

मोदक और लड्डु खाते

पूजे तो सब सुख पाते ।

जय जय जय जय गणेशा ।

      जिनकी है मुसक सवारी 

विपदा है तुमसे हारी 

सबके हो पलनहारी ।

जय जय जय जय गणेशा 

      कार्तिकेय के हो भ्राता 

मंगलमूर्ति हो सुखदाता

रिद्धि सिद्धि के हो प्रदाता

विद्या धन तुम्हीं से आता जय जय जय जय गणेशा

अपने बुध्दि के बल पर ही 

प्रथम पूज्य तुम कहलाते

और प्रथम ही पूजे जाते

जय जय जय जय गणेशा 

✍️ रश्मि श्रीवास्तव 'सुकून'

दुर्ग छत्तीसगढ़

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( 4 )

#नमन मंच🙏

#साहित्य आजकल

विषय- श्री गणेश- योगिता साहू"फुलकईना नोनी"


सिद्धि विनायक हे अंतर्यामी ।

दुख पीड़ा हरदो गजानन स्वामी।।


जय देव जय देव हे अंतर्यामी।

दुख पीड़ा हरदो गजानन स्वामी।।


एक दंत है मुसक सवारी ।

आओ पधारो गजानन स्वामी।।


माता पार्वती पिता महेशा।

अरजी पुकार सुनले गणेशा ।।


कोढ़ीन को देते हो निर्मल काया।

बांझन को देते हो पुत्र का सांया ।।

रचनाकार 

✍️ योगिता साहू"फुलकईना नोनी"

ग्राम,पोस्ट_चोरभट्ठी,(कुरूद)

जिला_धमतरी, छत्तीसगढ़

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