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शीर्षक :- पिता
मेरे पूज्य पिता
जीवन के आधार।
मुझे संवारने में
आप कभी न माने हार।
उन्होंने मुझे संभाल कर
सुन्दर रास्ता दिखाया।
मेरे जीवन निर्माण में
संपूर्ण जिन्दगी बिताया।
वे देखे गरीबी
हौसला न छोड़ा।
परिश्रम के बल पर
सफलता है पाया।
वे मुझे देते आशीष
मैं उन्हें करता नमन।
वे रहेंगे मेरी धरोहर
जन्म दर जन्म।
✍️ दुर्गेश मोहन
चक वे दौलिया
समस्तीपुर
बिहार
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