6/19/22

पितृत्व दिवस परकविता- पिता की डांट- सुनील चौरे उपमन्यु

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 "पितृत्व दिवस की शुभकामनाएं" 



"पिता की डांट"

डांटते थे जब पिता ,

बहुत बुरा लगता था,

उन्हें कोसते हुए नही थकता था,

जरा जरा सी बातों पर देते थे सीख।

कहते-

कर्म में रत रहो,

मिलो जुलो सबसे ,

नम्रता में दण्डवत रहो,

आलसी छोड़ समय को पकड़ो,

निकल न जाए समय ,

कर्म से जकड़ो,

तीनो ऋतु को सहन करने की ,

शक्ति लाओ,

निकलो घर से बाहर कुछ कर गुजरो,

सद्कार्यों में ख्याति  पाओ।


यदि पिता की बात सुना होता,

तो,

शायद आज जो हूं,

 उससे और अच्छा होता।


पिता तो नही आज,

किन्तु,

 उनकी सीख इस उम्र में अपना रहा हूं"

उनकी बातों को पहले क्यो नही माना

आज बहुत पछता रहा हूं।

--सुनील चौरे उपमन्यु



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