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6/9/22

ये सब हमने ठाना है:- डॉ.रूपा व्यास

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 शीर्षक- पर्यावरण

विधा- कविता

पर्यावरण को बचाना है,

पर्यावरण को बचाना है,

ये सब हमने ठाना है ।।


वृक्षों को मत काटो तुम,

वृक्षों को मत काटो तुम,

वरना ये प्रकृति हो जाएगी सुन्न।।


प्राचीन समय से पेडों की पूजा की जाती,

प्राचीन समय से पेडों की पूजा की जाती,

"एक वृक्ष दस पुत्र समान।

यह शिक्षा धर्म ग्रन्थों से आती।।"


धरती माँ पुकारे बार-बार।

धरती माँ पुकारे बार-बार।

प्रकृति की रक्षा करो तुम हर बार।।


कभी भूकंप तो कभी महामारी।

कभी भूकंप तो कभी महामारी।

हम सब अपने-अपने पर्यावरण के आभारी।।


मत करो तुम जानवरों जैसा व्यवहार,

मत करो तुम जानवरों जैसा व्यवहार,

ऐसे ही मृत न हो जाए,हाथी बार-बार।।


शुद्ध पर्यावरण अगर तुम्हें चाहिए,

शुद्ध पर्यावरण अगर तुम्हें चाहिए,

तो प्रदूषण कम हो ये भी तो सोचना चाहिए।।


कहीं तुम हरियाली नष्ट किए जा रहे,

कहीं तुम हरियाली नष्ट किए जा रहे,

आबादी के कारण मकान पे मकान खड़े किए जा रहे।।


हे!मानव अब तो संभल जा,

हे!मानव अब तो संभल जा,

पर्यावरण संरक्षण कर बच जा।।


- डॉ.रूपा व्यास,राजस्थान,

लेखिका,कवयित्री,

अध्यक्षा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच'

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1 comment:

  1. " पर्यावरण को बचाना है " बेहतरीन संदेशप्रद कविता के लिए सहृदय बधाई आदरणीया!

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