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6/5/22

प्रकृति का दोहन:- आर सी यादव

साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है।  यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें।  

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 !! प्रकृति का दोहन..!!

  (पर्यावरण संरक्षण)

मानव के क्रियाकलापों से

बिखर रहा प्रकृति का संतुलन ।

बिंध रही धरती की छाती

मनुष्य कर रहा इसका दोहन ।।


चित्कार कर रही धरती

कुपित हो, मचा रही तांडव ।

दरक रहा पहाड़ों का सीना 

मिट रहा नदियों का उद्भव ।।


जल-जंगल-जमीन से हमारा

सदियों का बंधन है ।

प्रकृति का मोहक स्वरूप

हमारे जीवन का अवलंबन है ।।


हमारे ही कृत्यों से

कांप रही धरती ।

बिखर रही इसकी आभा

सिमट रही इसकी आकृति ।।


स्वार्थ के निमित्त हो

ना छेड़ो इसके स्वरूप को ।

विध्वंस हो जाएगा जन-जीवन 

सुरक्षित रख लो अपने वजूद को।।

                 ✍️ आर सी यादव

           दिल्ली



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