साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" भाग-2 के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है।
साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे
वर्षा
आयारे आयारे ।
घिर घिर कर शोर मचाया रे।
हम सब को बिगाय रे।
गर्मी को बगाया रे।
दूर दूर से आता रे,
दूर दूर तक जाता रे,
बिना पूछ के आता रे।
बिना बोल के जाता रे।
आनंद से कोयल गाता रे।
पुलकित से मोर नाचता रे।
पेड-पौधे खुशि से हिलाते रे।
पशु-पक्षी आनंद से भागते रे।
बूंद बूंद से नदिया बरते रे,
अन्नदाता को आनंद लाते रे।
आसमान में इन्द्रदनुष छाया रे।
वो देख के बच्चे नाचते रे।
कभी कभी अतिवृष्टि होते रे।
कभी कभी अनावृष्टि भी होते रे।
ठंडी हवा को लात रे।
गर्मी से मुक्ति दिलाती रे।
प्रलय से हम को बचावो रे।
अवसर होने पर अवोरे।
वर्षा नही तो, हम नही रे,
इसकेलिए समय पर आवो रे,
जि. विजय कुमार
हैदराबाद
तेलंगाना
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Super
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