साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" भाग-2 के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है।
साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे
बेटी
सृष्टि की सबसे सुंदर कृति बेटी
मां को प्यारी पिता को दुलारी बेटी
चाची ताई नानी दादी
सबको मोह लेती बेटी
सबके काम में हाथ बंटाती बेटी
सृष्टि की सबसे सुंदर कृति बेटी
मां की प्यारी पिता को दुलारी बेटी
घर की सूनी बगिया की हरियाली
अन्तरिक्ष पर भी चढ़ जाती बेटी
मंगलयान खोज में सहायक बेटी
मां की छाया बेटी
थकी मां को देख
सिर दबाती बेटी
गीले कपड़ों की बाल्टी देख
कपड़े रस्सी पर फैलाती बेटी
मां पिता का सहारा बेटी
सृष्टि की सबसे सुंदर कृति बेटी
साड़ी पर सुन्दर बूटे काढ़ती बेटी
चूड़ी माला बिन्दी पायल
पहन सजना जानती बेटी
वेद पुराण रामायण भागवत
पढ़ लेती बेटी
कष्ट सहने में सक्षम बेटी।
दो कुल का ज्ञान बढाती बेटी
नही मांगती कुछ बेटी
खुश रहे घरो में और
प्राथना करती बेटी
सृष्टि की सबसे सुंदर बेटी
माँ की प्यारी पिता की
दुलारी बेटी
विदाई में सबसे ज्यादा
पिता को रुलाती बेटी
दया , करुणा ,क्षमता
ममता से युक्त बेटी
सर्वत्र यश फैलाती बेटी
नही कम पुत्रो से बेटी
शक्तिरूप है ये बेटी
शीश झुकाओ
इन बेटियों पर
सृष्टि बढ़ाती ये बेटी है
सृष्टि की सबसे सुंदर कृति
माँ की प्यारी बेटी
पिता की दुलारी बेटी
रचयिता
नीरा गर्ग
सहारनपुर ( उ.प्र.)
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