साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" भाग-2 के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है।
साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे
साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम के भाग -२ के लिए रचना: -
कविता
शीर्षक: - बेटी
बेटी तो होती है बेटी
घर आंगन में हंसती खेलती
बगिया में अठखेलियां करती
कितनी प्यारी लगती है बेटी।।
मम्मी पापा भाई बहनों से
बेहद प्यार करती है बेटी
बुआ मौसी ननद भाभी संग
कितना लाड करती है बेटी।।
जवानी की दहलीज पर
जब कदम रखती है बेटी
गैरों के हाथों सौंपी जाती
तब फूट फूट कर रोती है बेटी।।
जान न पहचान है जिनसे
उनके लड़ लगाई जाती है बेटी
घर आंगन बाबुल का छोड़
आंसूओं की नदी बहाती है बेटी।।
मम्मी पापा भाई बहनों का
साथ छोड़ती है जब बेटी
रोती है वो बिलख बिलख कर
तब सबको रुला जाती है बेटी
आचार्य डॉ पी सी कौंडल,
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संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश (पूर्णियां, बिहार)
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मंडी, हिमाचल प्रदेश
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