**रक्षाबंधन का त्योहार**
तेरे बिना लगता है सूना ,
है यह घर आंगन संसार।
तेरे आने से ही तो बहना ,
है यह रक्षा बंधन त्योहार ।।
पापा की है लाडली बेटी,
भाई की वह जान होती है।
सचमुच नखरे वाली बहनें,
भी कितनी नादान होती है।।
मुस्काती है जब भी लाडो ,
संग फिजा भी मुस्काती है।
वो नन्ही सी गुड़िया कैसे ,
पल भर में बड़ी हो जाती है ।।
दादी बनकर कभी डांटती,
कभी अम्मा सी प्यार जताती।
कभी बचाती पापा की डांट से,
कभी स्वयं फटकार लगाती ।।
वो नन्ही सी परी एक दिन ,
आशियाने छोड़ चली जाती है।
कल तक गोदी में खेला करती,
पल में कैसे पराई हो जाती है।।
रश्म विदाई की दुखदाई,
क्यों तुम्हें निभाना होता है।
नाजुक सी बहना रानी को,
दो घर की लाज बचाना होता है।।
तेरी ऑंखों में ऑंसू आए,
तो यह जीवन बेकार हैं।
जिस पल तू मुस्कादे बहना,
वही सबसे बड़ा त्यौहार है।।
भाई और बहन का रिश्ता,
सदा सिखाता सदाचार है।
तेरे होने से ही तो बहना,
रक्षाबंधन का त्यौहार है।।
*नोबेल श्रीवास बिर्रा*
हमारे व्हाट्सएप से जुड़ें.. | हमारे यूट्यूब से जुड़ें |
सूचना:- साक्षात्कार देने हेतु यहाँ क्लिक करें
👆👆
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
No comments:
Post a Comment