शीर्षक_हिन्दी दिवस
हिन्दी बनेगी हमारी राष्ट्रभाषा,
यह है अमूल्य धरोहर।
यह है प्राचीन भाषा,
यह है संस्कृत की सहोदर।
हिन्दी है जन_जन की भाषा,
यह है सरल सबल।
यह है ज्ञान की ज्योति जलाती,
पाठकों को मिलता बल।
हिन्दी में है पाठकों की आस्था,
हिन्दी दिवस मनाएंगे।
इसमें है सुरुचिएवं निष्ठा,
जन_जन तक पहुंचाएंगे।
हिन्दी है हमारी मातृभाषा,
इसकी है दुनिया में पहचान।
इसका है संसार में नाम।
यह की है सफल होकर राष्ट्र
निर्माण।
हिन्दी है हम लोगों की माता,
इस पर लग जाती है आस।
यह है दुनिया को भाता,
इसीलिए है पास_पास।
दुर्गेश मोहन
चकवे दौ लिया
समस्तीपुर (बिहार)
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