हिंदी भाषा शान है,
हिंदी ही है मान।
हिंदी सहज सुजान है,
सरल और सुज्ञान।
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राष्ट्रभाषा का इसे,
मिला है जो सम्मान।
आओ हम मिलकर रखे,
इस भाषा का ध्यान।
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जन जन की भाषा यही,
कहत कवि विद्वान।
इसमें तो भंडार हे,
शब्दों की यह खान।
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भाषा यह संविधान की,
भाषा यही महान।
चाहे गाना, गीत हो,
हिंदी से पहचान।
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शब्द, स्वर लय ताल से,
नव सृजन नित होय।
भाषा मात समान है,
इससे न बढ़कर कोय।
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रे मनवा इससे न बढ़कर कोय।
रे मनवा विश्व ये पूजित होय।
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जुगल किशोर पुरोहित
कवि, गीतकार साहित्यकार
बीकानेर, राजस्थान।
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