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9/14/22

मन की प्रियतमा हिन्दी:- रश्मि सिन्हा “शैलसुता” ( हिंदी दिवस पर बेहतरीन कविता)



 मेरा विषय-

मन की प्रियतमा हिन्दी

🌹

दिल में आए जब कोई उद्ग़ार,

प्रकट करना चाहे अपना विचार,

तो मन खोजता है सन्देश का एक माध्यम, 

जिसके स्वर में मिले हो वीणा के सूर मध्यम,

तो मुख ये अनायास हिन्दी निकल आती है ।

🌹

भाव भरे दिल हिन्दी को वरण करती है,

झुक जाती है चरणों में इसके,

इसके सादगी को ही नमन करती है ,

मन अपना मान शरण देना चाहता है इसको,

और मुख से अनायास तब हिन्दी निकल आती है ।

🌹

बनावट के अलंकारों से निकल कर,

सादगी से जब कानों पर वार करती है,

प्रभाव ज़बरदस्त होती है इसकी,

सीधे दिल पर जा गिरती है ,

तब अनायास मुख से हिन्दी निकल आती है।

🌹

शब्दों की मिठास और गहराई तब होती है,

जब वो श्रुतियों में जड़ाई गई होती हैं ,

विचार स्पष्ट हो खिलते हैं इससे ,

आत्मीयता पहनाई गई होती है,

तब मुख से अनायास हिन्दी निकल आती है ।

🌹

कोई प्रेमी आइ लव यू ग़र कहता है,

तो उसमें थोड़ा शक का असर होता है,

कह दे ग़र धीरे से कानों में प्रिया के ,

“प्रियतमा मेरी तुम हो बस मेरी “

तो उसके गले में गलहार होता है ,

और मुख से अनायास “रश्मि” है तुम्हारी निकल आती है।

रश्मि सिन्हा “शैलसुता”

ऑटवा,कनाडा 


स्वरचित,मौलिक 

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