#शिक्षा शिक्षक और शिष्य#
आदर्श विद्यार्थी पर काम करते हैं स्थाई और नित,
यदि बच्चे का छात्र जीवन परिश्रम,
अनुशासन संयम और नियम से हो व्यतीत।
गुणों से ही मनुष्य हर जगह प्राप्त करता है ऊंचा पद,
विद्या ही वह कोप है जिसमें गुण रूपी विद्यमान है रत्न और कद।
पशु और मनुष्य की रेखा विभाजन,
यदि कोई है तो वह है विद्यार्थी जीवन।
ऐसा है विद्यार्थी जीवन का उदाहरण,
जैसे हम सन्यासी हो या हो वन।
अन्यथा पशुओं को वैसे व्यवस्थाएं प्राप्त है,
जो मनुष्य को क्या बचपन क्या गृहस्थ।
अतः मानव जीवन में विद्यार्थी जीवन का ही है विशेष महत्व,
जिस में छुपे होते हैं तरह-तरह के गुण और तत्व।
प्रेम की राह दिखा दुनिया को जो रोके नफरत की आंधी,
हममें ही होगा कोई नेहरू, हममें ही होगा कोई गांधी।
गुरु को शिष्य से होती है बस एक आशा,
अच्छी बातें और विद्या अध्ययन के लिए
उनके मन में रहे हमेशा जिज्ञासा।
छात्र को अपनी सभी इंद्रियों और अपने मन पर रखना चाहिए संयम,
समय पर सोना, उठना, ब्रह्मचर्य विद्याध्ययन और संतुलित भोजन।
यह सब करने के लिए चाहिए बस एक नियम,
इसीलिए विद्यार्थी जीवन की सफलता की
कुंजी है समय और नियम।।
इसीलिए तो कहा गया है:👇👇
काकचेष्टा वकोध्यानम श्वान निंद्रा तथैव च
अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी जीवन पंच लक्षणम्//
✍️ राखी राज
अररिया, बिहार
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