भावभूमि की एक सशक्त कथा लेखिका है पूनम कतरियार ! : सिद्धेश्वर
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न साहित्य खत्म होगा न साहित्य को पढ़ने वाले!: सुषमा मुनीन्द्र
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सहज मानवीय अनुभूतियों की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति बन गई है, समकालीन कहानियां!: पूनम कतरियार
पटना :10/10/2022! " हम जबरन वक्त से हटकर नहीं चल सकते, न हीं पाठकों को जबरन पढ़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं l खासकर सोशल मीडिया के युग में, एक -दो पन्ने की कहानियां फेसबुक और व्हाट्सएप पर देना आम बात हो गई है और पाठक उसे पढ़ भी रहे हैं! ऐसी कहानियों की लघु फिल्में,लघु सीरियल,लघु वीडियो भी बनाए जा रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर बहुत अधिक देखें और पढ़े जा रहे हैं! शायद यही वह मुख्य कारण है कि प्रकाशक कविताओं या लम्बी कहानियों की पुस्तकें प्रकाशित कर खुद को जोखिम में डालना नहीं चाहता l "
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद तत्वाधान में, फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, ऑनलाइन हेलो फेसबुक कथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l इससे पश्चात पूनम कतरियार ने - अंतुर्वेदना और उड़ान कहानी का पाठ कियाl
प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि पूनम कतरियार का एकल कथा पाठ पर समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि - " पूनम कतरियार की पहली कहानी तो थोड़ा ऐतिहासिक विषय से संदर्भित है,लेकिन दूसरी कहानी आज के पारिवारिक परिवेश को रेखांकित करती हुई, प्रेरक कहानी हैl लघुकथा कहानी दोनों क्षेत्रों में वह अपना स्थान बना रही है l नई भावभूमि की एक सशक्त कथा लेखिका है पूनम कतरियार ! चर्चित कथाकार जयंत ने कहा कि पूनम कतरियार की कहानी अंतर्वद्ना सरसैया पर पड़े भीष्म पितामह की वेदना का बड़ा ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है l"
मुख्य अतिथि पूनम कतरियार ने कहा कि ढेर सारे समकालीन कहानीकारों से साहित्य समृद्ध हो रहा है। वास्तव में तिलिस्म और एय्यारों की दुनिया से बाहर आकर ये कहानियाँ केवल समाज एवं रिश्तों के दस्तावेज ही नहीं बनी, ये सहज मानवीय अनुभूतियों की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति बन, पूर्ण परिपक्व हो गई हैं।"
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रख्यात कथा लेखिका सुषमा मुनीन्द्र ने कहा कि -सिद्धेश्वर जी सिद्धहस्त रचनाकार हैं, जिनके संयोजन में ऑनलाइन कथा पाठ करना, मन को संतुष्टि प्रदान करता है l आज के ऑनलाइन कथा सम्मेलन में पढ़ी गई देशभर के नए पुराने कथाकरो की दस कहानियां, अपने मौलिक तेवर में,पारिवारिक संरचना, रिश्ते-नाते,भाव अनुभव को समृद्ध करने में पूर्णतः सक्षम दिख पड़तीं हैं l कोरोना काल की अड़चनों,स्वार्थ- परामर्थ, सकारात्मकता-नकारात्मकता कहानियों के विषय को जीवंत बना दिया है l एकल पाठ में पूनम कतरियार की दोनों कहानियां और अन्य रचनाकारों की कहानियों को सुनकर लगा कि आज भी बेहतर कहानियाँ लिखी जा रही है l न साहित्य खत्म होगा न साहित्य को पढ़ने वाले l इसके बावजूद यह भी सच है कि जितना अधिक अध्ययन करेंगे उतना और बेहतर सृजन कर सकते हैं आज के युवा कथाकार l ऐसी प्रतिभाओं को मंच देने के लिए संयोजक बधाई के पात्र हैं l
ऑनलाइन कथा सम्मेलन के दूसरे सत्र में ऋचा वर्मा ने " ऋण " / सुषमा मुनीन्द्र ने "आशा से आकाश "/ जयंत ने " आह्वान "/ डॉ सुनीता सिंह 'सुधा ' (वाराणसी) ने "मुक्तिनाथ "/ कमलेश पांडे पुष्प ने(नई दिल्ली) ने " प्रायश्चित "/ विजय कुमारी मौर्य ( लखनऊ )की कहानी " संकल्प "/ राज प्रिया रानी ने -
कहानी का पाठ किया जिसे देश भर के 300 से अधिक लोगों ने देखा और सराहा l
इसके अतिरिक्त दीपक कुमार शुक्ला,, कृष्ण मुरारी तिवारी, मुरारी मधुकर, बीना गुप्ता, जवाहरलाल सिंह, सुनील कुमार उपाध्याय, आस्था, संतोष मालवीय, दुर्गेश मोहन, मीना कुमारी परिहार, निर्मल कुमार दे, सपना शर्मा, सुनील कुमार सिन्हा,मंजुला पाठक आदि की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही l
प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष )/ भारतीय युवा साहित्यकार परिषद
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