12/14/22

पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर : विश्वनाथ शुक्ल चंचल

 पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर : विश्वनाथ शुक्ल चंचल


भारतीय गगनांगन में ध्रुवतारा के समान चमक कर पाठकों को आलोकित कर ज्ञान की किरणों को बिखेरने वाले पत्रकारिता एवं साहित्य जगत के अनमोल रत्न हैं_, चंचल जी

             इनका पूरा नाम विश्वनाथ शुक्ल चंचल है।ये वल्लभकुल संप्रदाय हाजीगंज, पटना सिटी में 20जून,1936को गुरु पूर्णिमा के दिन अवतरित हुए।इनका जन्म उस पवित्र भूमि पर हुआ, जहां गुरु गोविन्द सिंहजी  का जन्म स्थल है।

            इनके पिता का नाम श्रीनाथ शुक्ल था। इनके चाचा का नाम जग्गनाथ शुक्ल था।वे आकाशवाणी पटना की स्थापना से लेकर 26जनवरी,1972तक आजीवन स्टाफ आर्टिस्ट के पद पर कार्यरत रहे। इनके द्वारा बिहार की सर्वप्रथम भोजपुरी फिल्म हे गंगा मइया तोहरे पियरी चढ़ैबो में मास्टर साहेब के किरदार की भूरि भूरि प्रशंसा की गयी। इनके द्वारा आकाशवाणी पटना से चौपाल कार्यक्रम में पटवारी जी की भूमिका सराही गयी ।

           श्री विश्वनाथ शुक्ल चंचल जी की शिक्षा इंटरमीडिएट तक हुई। चंचल जी सर्वप्रथम हिंदुस्तान समाचार पत्र में संवाददाता(पटना सिटी) के रूप में नियुक्त हुए। फिर समाचार भारती(बिहार के प्रमुख)बने। इन्होंने आत्मकथा,आर्यावर्त आदि के माध्यम से भी पत्रकारिता की सेवा की ।

         इनकी प्रथम रचना साप्ताहिक पत्र हिंदुस्तान (दिल्ली) में छपी थी। साप्ताहिक पत्र धर्मयुग(दिल्ली), मंगलदीप पत्रिका(मुंबई), किशोर पत्रिका (पटना),आज(बनारस) साप्ताहिक पत्र में डाल डाल के पात व्यंग्य कॉलम में चंचल जी की रचनाएं प्रकाशित होती थी। जिसे पाठक पढ़कर आनंदित होते थे।

         चंचल जी आकाशवाणी पटना में 1954से जुड़े थे।नाटक,कला समीक्षा आदि लिखते रहे। इनके द्वारा लिखित लगभग 200नाटकों का प्रसारण हुआ था।ये काव्य पाठ, वार्ता, परिचर्चा इत्यादि प्रस्तुत करते रहे।

   चंचल जी पत्रकारिता एवं साहित्य के मजबूत आधार स्तम्भ हैं। इन्होंने पत्रकारिता की लंबे अरसे से सेवा की है। इनका योगदान प्रशंसनीय है।इन्होंने आलेख,काव्य,संस्मरण,व्यंग्य, नाटक इत्यादि विधाओं में अनवरत लेखनी चलाकर समाज की सेवा की है। ये विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में करीब 2000रचनाएं लिखकर पत्रकारिता में स्वयं को मील का पत्थर साबित  किये।

   चंचल जी बताते हैं कि कविता वह कला है, जिसमें मन के भावों को पद्य शैली में लिखते हैं, जो मन को आह्लादित कर देता है।

   पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में विश्वनाथ शुक्ल चंचल जी का महत्वपूर्ण योगदान है।ऐसे तो कई विधाएं तथा कई विषयों में इनकी लेखनी अग्रसर होती रही हैं। इनकी रचनाएं वैविध्यपूर्ण होती हैं।जैसे_ पुष्टिमार्ग सबंधित(आलेख), पूर्णेंदु नारायण सिन्हा,महाकवि रामचन्द्र जायसवाल(जीवनी), कारगिल केंद्रित, दीपावली केंद्रित(कविता),मतलबी दोस्तों से कैसे मिले(हास्य व्यंग्य)_समाचार पत्र में प्रकाशित तथा आकाशवाणी से प्रसारित, गणेश वंदना(भजन) इत्यादि।

   चंचल जी पर अपने चाचा जगन्नाथ शुक्ल की अमिट छाप पड़ी। उन्हीं की प्रेरणा से प्रेरित होकर विश्वनाथ शुक्ल चंचल ने एक सफल पत्रकार और रंगमंच के संस्थापक होने का श्रेय प्राप्त किया। रंगमंच की स्थापना 1954में हाजीगंज, पटना सिटी में  हुई थी। जिसके संस्थापक सह निदेशक विश्वनाथ शुक्ल चंचल जी हैं।

   1954से अब तक महामूर्ख सम्मेलन का कार्यक्रम होते आ रहा है। जिसमें इधर कुछ  वर्षों से आई आई बी एम के साथ संयुक्त रूप से होने लगा है।

   2018से बिहार सरकार कौमुदी महोत्सव करवा रही है। उससे पूर्व चंचल जी के द्वारा हो रहा था। विगत दो वर्षों से कोरोना की वजह से यह आयोजन स्थगित रहा।

   कौमुदी महोत्सव के रूप में योगदान देनेवालों में भारतरत्न बिस्मिल्लाह खां,पद्मविभूषण गिरजा देवी, सुनंदा पटनायक, अनूप जलोटा, निर्मला अरुण, अजीत कुमार अकेला, फूल गेंदा सिंह, सियाराम तिवारी, पद्मश्री शैलेन्द्रनाथ श्रीवास्तव,पंडित श्यामदास मिश्र,राधामोहन, दामोदर प्रसाद अम्बष्ठ, राष्ट्रपति अवॉर्डी साहित्यकार डॉ श्रीरंजन सूरिदेव, राष्ट्रपति अवॉर्डी चित्रकार राजेन्द्र प्रसाद मंजुल, समाजसेवी अनन्त अरोड़ा, सांसद आर सी पी सिंह इत्यादि प्रमुख हैं।

   महामूर्ख सम्मेलन में रामेश्वर सिंह कश्यप उर्फ़ लोहा सिंह, शंकर प्रसाद सिंह, गजेन्द्र नारायण सिंह, पूर्णेंदु नारायण सिन्हा,पत्रकार और कार्टूनिस्ट केशव कुमार सोनी, उत्तम कुमार सिंह, शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव , शास्त्रीय संगीतज्ञ श्यामदास मिश्र इत्यादि का आयोजन में मुख्य भूमिका होती थी।

   राजनेताओं में तारिक अनवर,डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र, प्रभुनाथ सिंह, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव, श्याम रजक,कमलनाथ सिंह ठाकुर, श्याम सुन्दर सिंह धीरज इत्यादि  मंत्री हुआ करते थे।

   वरिष्ठ पत्रकार और रंगकर्मी विश्वनाथ शुक्ल चंचल को ऐतिहासिक तथा अंग्रेजों के अत्याचार पर आधारित नाटकों में अभिनय करने का अवसर प्राप्त था। जिसमें महाराणा प्रताप, गरीब की दुनिया, देश का दुर्दिन इत्यादि प्रमुख थे। जिसमें इनके  अभिनय को सराहा गया था।

   2004में स्वर्ण जयंती के शुभ आयोजन में हॉलीवुड की टीम पटना आई थी। जिसमें उनका कहना था कि मैं रंगकर्मी विश्वनाथ शुक्ल चंचल तथा महामूर्ख सम्मेलन को केंद्र बिंदु में रखकर डॉक्यूमेंट्री (वृत्त चित्र) बनाना चाहता हूं।आप मेरे साथ विदेश चलें। चंचल जी नहीं गए,लेकिन कार्यक्रम  का वीडियो कैसेट बनाकर उन्होंने दूरदर्शन,लंदन से प्रस्तुत किया। जो गर्व एवं हर्ष की बात है।

  प्रसिद्ध पत्रकार और रंगकर्मी विश्वनाथ शुक्ल चंचल का भारत के अतिरिक्त रंगमंच संस्था के कारण विदेशों में भी पहचान बनी हुई है।इन्हें पत्रकारिता एवं रंगमंच में छः दशक से अधिक का अनुभव प्राप्त है।

   श्री विश्वनाथ शुक्ल चंचल को तीन पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। जिसमें दो पुत्र इनके ही नक्शे कदम पर चलकर पत्रकारिता में योगदान दे रहे हैं। जिनके नाम हैं _रजनीकांत शुक्ल(आज,पटना) और रविकांत शुक्ल (राष्ट्रीय सहारा,पटना)। चंचल जी का जीवन सादा एवं सरल है।ये सज्जन और मृदुभाषी हैं। इनका व्यक्तित्व विराट है।

          चंचल जी द्वारा रंगवाणी,डेमोक्रेटिव इंडिया और मातृभूमि का सम्पादन किया गया। रंगवाणी  साप्ताहिक पत्र (हिन्दी)का शुभारंभ 1965में हुआ, जो निरंतर 11वर्षों तक प्रकाशित होता रहा। डेमोक्रेटिव इंडिया (अंग्रेजी) की स्थापना 1952में की गई। सभी पत्र लोकप्रिय रहे,लेकिन रंगवाणी काफ़ी प्रसिद्धि पाई। एक बार की बात है कि बिहार से पांच श्रेष्ठ पत्रकारों का चयन होना था। जिसमें विश्वनाथ शुक्ल चंचल भी चयनित हुए थे।

          इन्हें कई पुरस्कारों/सम्मानों  से सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त है। जिसमें प्रमुख हैं_,भूतपूर्व तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी द्वारा नारायणी कन्या इंटर विद्यालय के शताब्दी समारोह में मिलने वाला सम्मान,अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासंगठन द्वारा बिहार गौरव सम्मान,आनंद शास्त्री हिंदी राष्ट्रीय विकास संस्थान द्वारा बिहार गौरव सम्मान,संस्कार भारती के अमृत महोत्सव में संगीत,साहित्य एवं कला के उन्नयन के लिए पद्मश्री शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव द्वारा सम्मानित,कौमुदी महोत्सव2017 लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से सम्मानित,पंद्रहवां पाटलिपुत्र साहित्य महोत्सव में सुरेन्द्र प्रताप सिंह पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान द्वारा सम्मानित, शाद अजीमाबादी स्टडी सर्किल द्वारा साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान, पाटलिपुत्र परिषद् के प्लेटिनम जयंती पर पाटलिपुत्र सम्मान,मानवोदय के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद मंजुल एवं महासचिव प्रभात कुमार धवन के द्वारा संयुक्त रूप से पत्रकारिता एवं साहित्य के क्षेत्र में साधना सम्मान इत्यादि।

          चंचल जी ने दूरदर्शन, पटना से कई कार्यक्रम विभिन्न विधाओं में प्रस्तुत किया,जो सराहनीय रहा। जिस प्रकार वृक्ष के नीचे मनुष्यों को आराम मिलता है, ठीक उसी प्रकार पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर विश्वनाथ शुक्ल चंचल की लेखनी से पाठकों को हर्षानुभूति प्राप्त होती थी।

           विगत कुछ वर्षों से चंचल जी शारीरिक अस्वस्थता के कारण सिर्फ़ अध्ययन कर पा रहे हैं। लिखित रूप में साहित्य सृजन नहीं कर पा रहे हैं। ये हमारे मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत रहेंगे। चंचल जी सदैव अविस्मरणीय रहेंगे। 

   चंचल जी के बारे में मेरे

 शब्द_

"जिसने पत्रकारिता को महिमा मंडित किया हो

वे हैं प्यारे विश्वनाथ शुक्ल चंचल।

जिनकी गाथा अनुकरणीय हो

वे बने हैं सार्थक संबल।

जिसने पत्रकारिता से किया आगाज

पत्रकारिता हेतु दी आवाज।

वे हैं पत्रकारिता जगत के हस्ताक्षर

जिस पर है भारतवर्ष को नाज।"

सुप्रसिद्ध पत्रकार विश्वनाथ शुक्ल चंचल जी का देहावसान 11दिसंबर,2022को हाजीगंज,पटना सिटी स्थित अपने आवास पर हो गया।12दिसंबर को खाजेकलां घाट, पटना सिटी में मुखाग्नि उनके छोटे  पुत्र मधुकांत शुक्ल उर्फ़ मन्नू जी ने दिया। ये तीन पुत्र,तीन पुत्रियां,नाती_पोता समेत भरा_पूरा परिवार शोक संतप्त छोड़ गए हैं।चंचल जी दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी यादें साथ हैं। इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी ,जब वैसा ही साहित्यकार जन्म लेकर साहित्य सृजन करे। फूल सूख कर बिखर गए, लेकिन सुबास बनी रही।किसी शायर की ये पंक्तियां इन पर चरितार्थ होता है _

"यूं तो दुनिया के समंदर में,

काफी खलां मकां होता नहीं।

लाखों मोती हैं मगर,

इस आब का मोती मिलता नहीं।

ॐ शान्ति।

दुर्गेश मोहन

समस्तीपुर, बिहार


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