रचनात्मक तेवर के साथ विकट समय में सुलझी हुई लघुकथाकार हैं वंदना सहाय : सिद्धेश्वर
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वर्तमान युग की यांत्रिकता और व्यस्तता के कारण लघुकथा सर्वाधिक लोकप्रिय विधा : वंदना सहाय
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वंदना सहाय की लघुकथाएं समाज के वंचित वर्ग और हाशिए पर खड़े बुजुर्गों की दास्तान है!:ऋचा वर्मा
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पटना : 19/12/2022 [] हिंदी साहित्य में लघुकथा विधा में अपनी अलग पहचान बन चुके जो रचनाकार सार्थक लघुकथाओं का सृजन करने में सदैव अग्रणी रहे हैं उनमे वरिष्ठ लेखिका वंदना सहाय का नाम भी आता है । वंदना जी एक लंबे समय से लघुकथा के साथ-साथ कहानी और कविता विधाओं में भी अपनी लेखनी आजमाती आ रही़ हैं l आज के समाज की कटु सच्चाई से साक्षात्कार कराती हुई इनकी कई लघुकथाएं, हमारे भीतर की संवेदना को झकझोर देती है lअपनी रचनात्मक तेवर के साथ विकट समय में सुलझी हुई लघुकथाकार हैं वंदना सहाय l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में,, गूगल मीट के माध्यम से,फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर आयोजित ऑनलाइन " हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन " के प्रथम सत्र में वरिष्ठ कथाकार वंदना सहाय का एकल लघुकथा पाठ के दौरान सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l
मुख्य अथिति वंदना सहाय ( नागपुर ) ने प्रथम सत्र में, एकल लघुकथा पाठ के तहत भूख का जींस, दूरी,हिस्से का दूध, नीले दाग, नेत्रदान,एक प्याली गरम चाय आदि अपनी एक दर्जन लघुकथाओं का पाठ किया l सिद्धेश्वर द्वारा ऑनलाइन लिए गए अपने साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि -वर्तमान युग की यांत्रिकता और व्यस्तता के कारण लघुकथा का आठवें दशक से जो तेजी से विकास हुआ, उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। अति व्यस्तता के कारण लोग आज बड़े-बड़े उपन्यासों और कहानियों को पढ़ने से कतराने लगे हैं l आकार में लघु और कथा-तत्व से सुसज्जित लघुकथाएँ आज लोकप्रिय हो रहीं हैं, क्योंकि सूक्ष्म कथानक के साथ संकेतात्मकता, वेधकता और अतिकल्पना पाठकों का मन मोह लेतीं हैं। लघुकथा आज सर्वाधिक प्रासंगिक विधा है l किन्तु वह साहित्य ही श्रेष्ठ माना जाता है, जो समाज की मांग के अनुसार रचा जाता है।
पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चर्चित लघुकथा लेखिका ऋचा वर्मा ने कहा कि -वंदना सहाय की लघुकथाएं समाज के वंचित वर्ग और हाशिए पर पहुंच चुके बुजुर्गों के दर्द को बखूबी बयां करते हुए पाठकों की संवेदनाओं को झकझोरने में पूर्णतया सफल प्रतीत होती हैं l लघुकथा कलश " पत्रिका के संपादक योगराज प्रभाकर के शब्दों में - " इस कार्यक्रम में वंदना सहाय द्वारा पढ़ी गई सभी लघुकथाएं अच्छी लगी l ! "
..... हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन के दूसरे सत्र में देशभर के एक दर्जन से अधिक लघुकथाकारों ने अपनी प्रतिनिधि लघुकथाओं का पाठ कर श्रोताओं को मन मुग्ध कर दिया l लघुकथा सम्मेलन में पुष्प रंजन(अरवल )ने - कोख का उम्र /डॉ मीना कुमारी परिहार ने- अंगारे बरसना / मंजू सक्सेना (लखनऊ ) ने- दहेज / / राज प्रिया रानी ने - दहेज / योगेंद्र नाथ शुक्ला ( इंदौर ) ने - प्रेमचंद का सच / अनीता रश्मि ने - समयाभाव / डॉ अलका वर्मा ने - ठग / सिद्धेश्वर ने - बेटे की कीमत / ने -नौकरी / मधु ने -- टोकन / चंद्रिका व्यास ( मुंबई ) ने -- आजीविका / विजयानंद विजय ( बोधगया ) ने- दीये का प्रकाश / ऋचा वर्मा ने- दहेज / डॉ सुनीता सिंह सुधा ( वाराणसी ) ने -काश / डॉ संतोष गर्ग( चंडीगढ़)ने -पर्दा / माधुरी भट्ट ने - पछतावा / प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र ने - लघुकथाओं का पाठ कर, हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन को यादगार बना दिया l
कार्यक्रम के उपरांत मुंबई की चंद्रिका व्यास ने कहा - " बहुत ही सुंदर और सफल प्रोग्राम रहा। अनेक विद्वत गुणी रचनाकारों की लघुकथाओं के रूबरू हुआ और के लघुकथाकारों से आनलाइन मुलाकात भी हुई l विशिष्ट अतिथि विजया कुमारी मौर्य { लखनऊ } ने कहा कि - " सिद्धेश्वर जी, आपने तो तहलका मचा दिया है, आनलाईन सबको जोड़कर lअब यदि न जुड़ना चाहूँ तो भी आपका स्नेह दूर नहीं होने देता l सभी लघुकथाकारों की एक से एक बढ़कर लघुकथाएं सुनी l बहुत ही सार्थक और उच्च श्रेणी का लगा l आपका ग्रुप, आपका संपादन आपकी अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका संस्था दिनों दिन ऊंचाइयों को छू रही है और ऐसा इसलिए है कि आप बहुत ही जुझारू ईमानदार व्यक्तित्व के हैं l
इस कार्यक्रम में रशीद गौरी / अपूर्व कुमार / स्नेहा गोस्वामी / डॉ पुष्पा जमुआर / मानसिंह शरद / अजय पांडे / डॉ सुशील कुमार ,दिलीप, ,बीना गुप्ता, जवाहरलाल सिंह, सुनील कुमार उपाध्याय ,विजय कुमारी विजय मौर्य, निर्मल कुमार डे , सपना शर्मा, सुनील कुमार सिन्हा,मंजुला पाठक आदि की भागीदारी भी महत्वपूर्ण रही l
--------------( प्रस्तुति : राजा प्रिया रानी [उपाध्यक्ष ] / और सिद्धेश्वर [अध्यक्ष]: भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना
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