12/31/22

फूलों ने कहा (कविता):- ममता सिंह राठौर



 फूलों ने कहा:- ममता सिंह राठौर

फूलों ने कहा  हमसे

खामोश क्यों हो 

तुम ऐसे

क्या   जोड़ें हो दिल से

जो हँसी छीमें है होठों से


फूलों ने पूछा

फिर हमसे

क्या एक तन्हा हो तुम ऐसे

कभी पूछा है

तुमने  हमसे

हम क्यों रहते हैं हरदम हंसते


कैसे लिपटे हैं कांटे हमसे

क्या हमको नहीं है यह चुभते

क्या शिकायत करूं मैं रब से

या रूठ जाऊ मैं खुद से


मैं तो कहती हूं काटों से

तुम हमसफर हो मेरे ऐसे

मेरी सांसे ,मेरा जीवन 

मेरा हंसना ,मेरा खिलना सब है तुमसे

ममता सिंह राठौर

कानपुर ,गजियाबाद

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1 comment:

  1. सुख - दुःख में समानता रखने की सीख देती बेहतरीन कविता के लिए सहृदय बधाई साथ हीं नये साल की बहुत-बहुत मंगलकामना आदरणीया कवयित्री जी!

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