शीर्षक- नववर्ष का अभिनंदन
नववर्ष में नवल हो राग
बूरी आदतें अब तो त्याग
नववर्ष में हो नूतन बाग
जाग भाई अब तो जाग.
बातों से बहुत कुछ दुख गई
गमों की डालियां भी सुख गई
छोड़ो अब बीती बातों को
स्मृत करो सुख रातों को.
वो जनमानस है ठंड में ठिठुरा
जिनकी अलाव से कटती रातें,
आओ नववर्ष पर करें चिंता
जिनकी नित्य हैं होती बातें.
नदियों सा निर्मल नववर्ष
सदियों सा निश्छल नववर्ष
चंदन सा महके नवल वर्ष
तोरण सा वंदन नवल वर्ष.
बूढ़े वर्ष का सादर करें विदाई
करें नववर्ष का स्वागत -वंदन,
विदा वर्ष के लिए क्या रोना
नवल वर्ष का कर अभिनंदन.
✍️ ललन प्रसाद सिंह
पटना (बिहार)
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नूतन वर्ष की बेहतरीन कविता के लिए आदरणीय कविवर ललन कुमार सिंह जी को हृदयतल से बधाई मंगलकामना!
ReplyDeleteशुक्रिया सर
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