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शीर्षक:- प्राण तिरंगा है
अनेकता में एकता का,
भाव तिरंगा है,
हर जन-जन के स्वरों का,
गान तिरंगा है।।
अमर शहीदों के बदौलत,
यह लहराया,
हम भारत वासियों का,
प्राण तिरंगा है।।
आखिर क्यों हम कहते हैं
सबों का प्राण तिरंगा है?
तो सुनें...
इस तिरंगे की खातिर,
लाखों ने हैं जान गवाई।।
एक एक रंगों को इसमें,
भारत माँ के लाल सजाएं,
होकर चोटिल खा कर गोली,
दुश्मनों को मार गिराएं।।
एक एक रंगों को इसमें,
भारत माँ के लाल सजाएं।।
इसलिए कहते हैं
प्राण तिरंगा है...
हर हिंदुस्तानियों का,
शान तिरंगा है,
भारत माता के सपूतों का,
सार तिरंगा है।।
दुश्मनों के हार का,
प्रमाण तिरंगा है,
भारत माँ का गौरव व,
सम्मान तिरंगा है।।
@ हरे कृष्ण प्रकाश
पूर्णियां, बिहार
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धन्यवाद
हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार)
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