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ऑनलाइन साहित्य की पाठशाला चलाना समय की जरूरत है ! : सिद्धेश्वर

 देश में पहली बार ऑनलाइन अवसर साहित्य पाठशाला का आयोजन

 ऑनलाइन साहित्य की पाठशाला चलाना समय की जरूरत है ! : सिद्धेश्वर

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 लघुकथा की सृजनात्मक  विकास के लिए एक सार्थक पहल : विभा रानी श्रीवास्तव 

             पटना :21/02/2023 l साहित्य में सृजनात्मक विकास के लिए, नए पुराने साहित्यकारों को एक दूसरे से सीखने और सिखलाने की पुरानी परंपरा को हमेशा जीवंत रखना होगा l किंतु साहित्य में  आज गुरु शिष्य की परंपरा तो खत्म हो ही गई है, साहित्य सृजन की दौड़ में, कोई हमसे आगे ना बढ़ पाए, यह प्रतिस्पर्धा आज के साहित्यकारों में अधिक देखी जा रही है l यही कारण है कि एक दूसरे की रचनाओं पर झूठी वाह -वाही कर, श्रेष्ठ रचनाओं के सृजन की गति में अवरोध पैदा किया जा रहा है l पठनीय रचनाओं में कमी आती जा रही है l साहित्य में अध्ययन से अधिक सृजन के प्रति  लोग परेशान हैं और कम समय में अधिक ऊंचाई पाने की लालसा में, रचनाओं की नकल कर, अधिक छपास के प्रति रचनाकार बेचैन है l साथ ही रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे हैं निराला सम्मान, महादेवी सम्मान जैसे सम्मान पत्र और डिजिटल प्रमाण पत्र पाकर, स्वयं को महामंडित महसूस कर रहे हैं l

        भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, गूगल मीट के माध्यम से, फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, अवसर साहित्य पाठशाला का आरंभ करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l पूरे देश में पहली बार ऑनलाइन इस तरह की साहित्यिक पाठशाला के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ऑनलाइन साहित्य की पाठशाला चलाना समय की जरूरत है l मंचों पर सिर्फ रचनाओं का पाठ करने से, और एक दूसरे की वाह-वाह करने से, रचनाकारों को कुछ सीखने का अवसर प्राप्त नहीं होता l  पहले की तरह रचनाकारों में एक दूसरे को सीखने और सिखलाने की स्वस्थ परंपरा को हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उतारने की जरूरत है l

    लघुकथा विधा पर आयोजित आज के पाठशाला में, वरिष्ठ लघुकथा लेखिका विभा रानी श्रीवास्तव ने इस तरह के आयोजन की सार्थकता को स्वीकार करते हुए कहा कि - लघुकथा की सृजनात्मक विकास के लिए यह सार्थक पहल है  l लघुकथा के क्षेत्र में त्वरित ख्याति प्राप्त करने के ख्याल से लिखी जा रही अधकचरी लघु कहानी को भी लघुकथा के नाम पर संपादक प्रकाशित करते जा रहे हैं, जो लघुकथा के विकास में अवरोधक का काम कर रहा है l उदाहरण के तौर पर उन्होंने मीरा कुमारी  की लघु रचना का पाठ भी किया l लखनऊ की विख्यात कथाकार और शायरा मंजू सक्सेना ने कहा कि - सीखने और सिखलाने का काम पूरी जिंदगी चलना चाहिए! और जानकार रचनाकार से अपनी रचनाओं के बारे में सुझाव और परामर्श भी लेना चाहिए! लघुकथा लेखिका गार्गी, इंदू उपाध्याय, पूनम कतरियार, पुष्प रंजन, रश्मि लहर ने स्वीकार किया कि उनकी लघुकथाओं पर सिद्धेश्वर और गोविंद भारद्वाज द्वारा दी गई टिप्पणी काफी लाभप्रद साबित हुआ है l इस मंच पर आकर पहली बार हमने लघुकथा का सृजन भी किया है l गोविंद भारद्वाज ने नए लघुकथाकारों को बतलाया की लघुकथा में पैनी धार होनी चाहिए।कथ्य, शैली और कसावट लिए लघुकथा होनी चाहिए। शीर्षक बड़े न हों और शीर्षक के माध्यम से लघुकथा को खोले नहीं। एक से अधिक घटनाओं पर आधारित लघुकथा से बचना चाहिए। नयी थीम पर लघुकथा लिखनी चाहिए। आधुनिक घटनाओं का समावेश लघुकथाओं में होना चाहिए। अपने लिखित लघुकथा की कथानक की नकल करने के प्रति लघुकथाकारों को सावधान  करते हुए हुए कहा कि प्रताप सिंह सोढ़ी जैसे वरिष्ठ लघुकथाकर का यह करतूत  निंदनीय है l मेरी यह लघुकथा  दैनिक जागरण ने बाद में छापी है।मेरी ये लघुकथा पूर्व में छप चुकी है। मैं समय निकालकर उसकी कटिंग आपको भेजूँगा।आजकल ये ट्रेंड चल पड़ा है। साहित्य की ऎसी पाठशाला के माध्यम से लोगों को सावधान करना भी फर्ज बनता है l

          माधुरी भट्ट ने कहा कि यदि हम अपने वरिष्ठ और विद्वत जनों को सुनेंगे और पढ़ेंगे नहीं तो मात्र अपनी ही सुनाने की कोशिश में लगे रहेंगे तो आजकल पैसे देकर मिलने वाले पुरस्कार भले ही मिल जाए हम आत्मीय प्रसन्नता कभी महसूस नहीं कर सकते l सुधा पांडेयऔर गार्गी राय ने कहा कि हम एक लघुकथा लिखते हैं और तुरंत पोस्ट कर देते हैं l रचनाकारों को इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए l एक बार लिखने के बाद स्वयं कई बाद दोहराना और सुधारना चाहिए l अपने जानकार मित्रों से राय परामर्श लेना चाहिए l सब प्रकाशनार्थ भेजना चाहिए, पूरी संतुष्टि मिलने के बाद l तभी सार्थक लघुकथा सामने आएगी और लघुकथा का विकास क्रम आगे बढ़ चलेगा l पूनम कतरियार ने कहा कि मैं अपनी लिखी लघुकथा को कई बार दोहराती हूं l मैं एक लघुकथा पर जब अनिल पतंग ने फिल्म बनाने की बात स्वीकार की, तब उसका शीर्षक से लेकर संवाद तक हमने कई बार बदला, तब जाकर एक मुकम्मल लघु फिल्म बन पाई l इस महीने से भी यह साहित्य पाठशाला हम रचनाकारों के लिए बहुत ही उपयोगी और लाभप्रद है l

         "  अवसर साहित्य पाठशाला " से ऑनलाइन ढेर सारे रचनाकारों ने लाभ उठाया l और इस तरह का साहित्य पाठशाला निरंतर जारी रखने का अनुरोध करते हुए, अपने पटल पर ऑनलाइन  सार्थक पहल करने के लिए सिद्धेश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया l ऑनलाइन अपना विचार प्रस्तुत करने वाला में प्रमुख थे : संतोष मालवीय , सपना चंद्रा, ऋचा वर्मा, तनु श्रीवास्तव, पूनम देवा, सपना चंद्रा, प्रेमलता सिंह नलिनी श्रीवास्तव, माधुरी भट्ट आदि l

[] प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना!

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धन्यवाद

हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि) 

(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार) 


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