साहित्य आजकल की साहित्यिक खबर:- रेणु स्मृति दिवस पर रेणु उद्यान पूर्णियां में आयोजित हुआ कार्यक्रम। सभी कवियों को किया गया सम्मानित।
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शहर के स्थानीय डाक बंगला चौक स्थित रेणु उद्यान में महान साहित्यकार, पूर्णियां को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले मैला आंचल, तीसरी कसम आदि के सृजनकार फणीश्वरनाथ 'रेणु' जी की पुण्यतिथि मनाई गई। स्मृति दिवस के अवसर पर परिसर मे रेणु सेवा समिति, पुस्तक मेला समिति व गुलाबबाग साहित्यकार संसद पूर्णियां के संयुक्त तत्वावधान में रेणु स्मृति दिवस, पुस्तक लोकार्पण सह कवि सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित की गई। कार्यक्रम दो भागों में आयोजित हुई प्रथम सत्र में रेणु जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इसके उपरांत स्थानीय चर्चित व्यंगकार काका बिहारी उर्फ परमेश्वर गोयल पर आधारित पुस्तक लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डा. देव नारायण देव, विधायक विजय खेमका, नीलू अग्रवाल, डा सिद्धेश्वर कश्यप, मो० कमाल, जवाहर यादव, डा निरुपमा राय, डा अशोक कुमार आलोक, डा शिव नारायण, कमल किशोर चौधरी, गिरजानंद मिश्र, चंद्रकिशोर जैसवाल, चंद्रकांत राय, विजयानंद सिंह शामिल हुए। सभी ने काका बिहारी के व्यंग रचना पर चर्चा करते हुए काका बिहारी को काका हिंदुस्तानी से संबोधित किया। विधायक विजय खेमका ने सभी आए सभी अतिथियों को सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन किया गया कवियों को सम्मानित!
रेणु स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में युवा कवियों ने दी एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुति। मंच संचालन चर्चित साहित्यकार गिरजानंद मिश्र कर रहे थे।
उक्त कार्यक्रम में युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाश ने दुनियां में रहने वाले मनुष्यों और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के आधार पर अलग होते वर्ग तथा जाती धर्म के बीच उलझे लोगों पर केंद्रित अपनी कविता- अल्हड़ सी इस दुनियां में, रहते हैं कई लोग, कुछ बनते हैं यहां सच्चे, कुछ बनते हैं झूठे लोग।। अल्हड़ सी इस दुनियां में...हर मानव का, एक ही रुधिर रंग, जाति में बांट, क्यों करता है भंग।। हो.. यहां जाति-धर्म के नाम पर, तकरार में उलझे, रहते कई लोग, कुछ चिंतन कर सृजन करते, कुछ यहां मजे, लूटते लोग।। अल्हड़ सी इस दुनियां में... गाते हुए ऐसी प्रस्तुति दी जिसे सुनकर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो कर ताली बजाने लगे।
प्रस्तुति देते युवा कवि हरे कृष्ण प्रकाशवहीं दिनकर दीवाना ने विरह गीत वो दिन फिर कब आयेंगे, मिलेंगे कब हमसफर, प्रस्तुत किया। युवा कवयित्री प्रीतम प्रकाश ने जिंदगी पर आधारित अपनी शनदार कविता ऐ जिंदगी, तूने कई रंग दिखाई है, कभी लाख से ख़ाक, तो कभी खाक से लाख, की सफर तय कराई है, ऐ जिंदगी तूने, मुझको कई रंग दिखाई है, से अपनी काव्य प्रस्तुति दी। रणजीत तिवारी ने अपनी काव्य आडम्बर के रंग में गई भावना रंग, फीका फीका हो गया अब अपनों का संग, प्रस्तुत किया। गोविंद कुमार ने कब तलक देकर इंकलाब का हवाला तुम, गरीबों को हासिए पर ले जाओगे।
प्रिया कुमारी ने अपनी काव्य "रहते तो हैं हम भी कभी ओझल जरूर ही इस दुनियां के नजरों से, से अपनी प्रस्तुति दी। वहीं चंद्रशेखर ने अपनी तन्हा इंसान बारूद है, वे हरदम चुप रहते हैं, से और मनु रमण मैं ममता की मूरत, उज्ज्वल सूरत, मैं हीं चारों धाम, मैं ही तीरथ... से अपनी शानदार प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन में शामिल सभी कवियों में मुख्य रूप से हरे कृष्ण प्रकाश, स्नेहा किरण स्नेह, दिव्या त्रिवेदी, बिनोद मिश्र, मनु रमण, कुमार बलियाबी, संगीता भारती, प्रीतम प्रकाश, नीतू कुमारी , कल्याणी झा, प्रिया सिन्हा, चंद्रभूषण चंद्र, रंजित तिवारी, दिनकर दिवाना साथ हीं कैलाश बिहारी चौधरी, उत्तम चौधरी, गोबिंद प्रसाद, कमल किशोर वियोगी, विजय नंदन प्रसाद, रामनरेश भक्त एवं गिरिजा नन्द मिश्र उपस्थित होकर अपनी काव्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सभी कवियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रियवंद जैसवाल, गोविंद कुमार, सुमित प्रकाश, सत्यदेव, अखिलेश चंद्रा, हरे कृष्ण प्रकाश, अरविंद साह व सभी वरिष्ठ, नवोदित व अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
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धन्यवाद
हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार)
बहुत हीं शानदार आयोजन में काव्य पाठ प्रस्तुति के लिए सभी आदरणीय को सहृदय बधाई ।
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