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मेरी सुबह तुम हो ,
और तुम ही शाम हो,
तुम ही दर्द हो,
तुम ही आराम हो ।
मेरी दुआओ से आती है बस ये सदा,
मेरी हो कर हमेशा रहना,
कभी अलविदा ना कहना।
तुम रूठी रूठी सी लगती है,
कोई तरकीब बता दो तुम्हें मनाने की,
मैं ज़िंदगी गिरवी रख दूँगा,
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की ।
तू कहे तो आसमान से चाँद तारे तोड़ लायूँगा ,
हर ख़ुशी मैं तुझ पर लुटाऊँगा ।
तेरी नज़ाकत को मैं अपनी
हक़ीक़त बनाना चाहता हूँ ,
तुझे देख कर बाँवरा लगने लगूँ ,
कुछ उस तरह से मुस्कुराना चाहता हूँ ।
मुझे सिर्फ़ इश्क़ नहीं है तुझ से ,
मेरे जज़्बात इश्के जुनूनियत की
हद पार कर चुके हैं ,
दिल ओ जान से हम तुम पर मर चुके हैं ।
मेरी साँसों में तुम हो ,
धड़कनों में तुम हो ,
ख़्वाबों में तुम हो ,
सवालों में तुम हो ,
जवाबों में तुम हो ।
सब ऊँच्चाइयों में तुम हो ,
दिल की गहराइयों में तुम हो ,
आरजुओं में तुम हो ,
भावनाओं में तुम ,
दुआओ में तुम हो ।
उम्मीदों में तुम हो ,
नज़ारों में तुम हो ,
ख़्वाहिशों में तुम हो ,
इशारों में तुम हो ।
जी रहा हूँ जिसके लिए वो सबब तुम हो ,
जिस के लिए आया हूँ मैं इस जहान में ,
क्या कहूँ मेरा रब अब तुम हो !
मेरी हसरत तुम हो ,
चाहत तुम हो ,
ईश्वर की मुझ पर की गयी इनायत तुम हो ,
मेरी पूजा तुम हो ,
मेरी इबादत तुम हो ।
तुम्हारे इश्क़ में मैं दीवानेपन,
की हद पार कर चुका हूँ ,
शायद अब मेरा जुनून एक पागलपन बन चुका है,
तुम्हारे अहसासों का क़ैदी अब मेरा मन बन चुका है ।
शुक्र अल्ला,
तूने दिया है मुझे ये बेशक़ीमत तोहफ़ा ,
यक़ीनन बहुत मेहरबान है मुझ पर मेरा ख़ुदा !
तेरी बाहों में मेरा जिस्म खिल जाता है,
सुकून जाता है मिल,
मेरा जहान मस्त हो जाता है ,
छा जाती है हर ओर तिलस्माते झिलमिल ।
तूने मेरे रातों और दिनों को
इंद्रधनुशी रंगों से भर दिया है,
तूने मुझे सिर्फ़ आशिक़ नहीं ,
एक रसिक बना दिया है ,
आख़िरकार ये जादू तूने कैसे किया है ?
Love 💗 is a sheer and a total madness !!
✍️ प्रेस्टीज अगस्ता
बंगलुरु
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धन्यवाद
हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार)
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