अलसाए अरुण ने (हिंदी कविता):-रमेश चंद्र शर्मा
# अलसाए अरुण ने !
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अलसाए अरुण ने
उनींदी आँखें खोल
चिड़िया के कानों में
प्रेम गीत गा दिया !
यायावर किरणों ने
सहसा दामन छुड़ा
आगोश में ले लिया
स्वर्णिम शिखरों को!
अधजगी उषा ने
नील कमल खिला
शिखरों पर अनंत
रश्मियां बिखेर दी !
दमकती अरुणिमा
भ्रमरों के पास जा
मदमाते कुसुम का
मधुरस सोखने लगी!
ललचाए बावरे भ्रमर
कुसुम की कैद छोड़
उपवन में गाने लगे
वासंती मधुर गान!
सहमी सकुची तितलियां
रंग बिरंगे पंख खोल
तितर-बितर हो गई
पराग की तलाश में !
चिड़िया की चहक सुन
लजाकर खड़ी हो गई
नवविवाहिता तत्काल
शीश अपना ढांककर !
उपवन चहक गए
जंगल जागृत हुए
अलसाया पथिक फिर
गंतव्य को चल दिया !
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# रमेश चंद्र शर्मा
इंदौर
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हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
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