7/5/23

गुरु पूर्णिमा पर विशेष :- "जब मैं छोटी थी"- ममता गुप्ता

 गुरु पूर्णिमा पर विशेष :- "जब मैं छोटी थी"- ममता गुप्ता, 

जब मैं छोटी थी, माँ गायत्री का नाम तभी सुना था। गुरुदेव को नहीं जानती थी। फिर मैं जब ब्याह के ससुराल आई तो बाबूजी ने गायत्री मंत्र बोलना सिखाया और दिव्य अखंड ज्योति पुस्तक मुझे दी और बोले की बहु बहुत ज्ञान की बातें है पढ़िएगा। आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम बाबूजी। उसके बाद गुरुदेव की कृपा से हर महीने पुस्तक मेरे घर में आती थी और मैं पढ़ने लगी। ऐसा लगा कि जैसे जीवन जीने का सार मिल गया। 

            मेरी जीवन की परिभाषा ही बदल गई। अखंड ज्योति में लिखी हुई बातों को मैं अपने जीवन में उतारने लगी। गुरुदेव की कही हुई बातें मेरे संग रहने लगे। ऐसा लगने लगा की कोई दिव्य शक्ति है जो मुझे उनसे जोड़ती है। गुरु की शरण में आने के बाद मुझे खुद को जानने और समझने का मौका मिला। जीवन को सम्यक गति एवं गंतव्य देने के लिए खुद का ज्ञान अति आवश्यक है। जो भी अवगुण हमारे अंदर है वह सुधारने की कोशिश करने लगी। बचपन से ही मांस-मछली खाना छोड़ दिया था और  हमेशा सत्य का साथ देना, झूठ ना बोलना, दया-परोपकार करना और नि:स्वार्थ सेवा करना अपने जीवन में शामिल कर लिया।

             बचपन से ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी हुई हूँ। शायद यह पापा से विरासत में मिली थी और मैं धीरे-धीरे मां भगवती की चरणों में चाकरी करने लग गई। गायत्री परिवार से जुड़ने से बहुत से नियम है। मैं जुड़ नहीं पाई पर गुरुदेव से मेरे दिल के तार अवश्य ही जुड़ गए और मैं गुरुदेव के कहा अनुसार अपना जीवन भलाई में लगाना चाहती हूँ। गुरुदेव मुझे रास्ता दिखाएं। रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, महात्मा बुध इन सब से मैं बचपन से ही प्रभावित होकर उनके विचारों को अपनाने की कोशिश करती रही हूँ। गुरुदेव की कृपा से आत्मज्ञान की प्राप्ति भी हुई मुझे। एक दिन यह भी ज्ञात हुआ की भगवान सूर्य के प्रकाश पुंज के सप्त किरणों में ईश्वर की आकृति भी दिखती हैं। गुरुदेव ने अपनी पुस्तक अखंड ज्योति में लिखा हैं कि उगते हुए सूर्य में भी मेरा स्थान रहेगा।

             जब भी मुझे ढूंढोगे तो तुम्हारे पास रहूंगा। गुरुदेव से बस एक ही विनती है की यह मेरा तन-मन-धन जो है मेरे पास है वह विश्व के कल्याण के लिए लगाना चाहती हूँ। कोई ऐसा उपाय करें की सदा आपकी आभारी रहूँ।कोई तो रिश्ता है गुरुदेव आपसे किसी जन्म का, तभी तो इस जन्म दया-दृष्टि रखते है आप। हम पर आप की कृपा ना होती तो जीवन सार्थक ना होता। 

आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव🙏🙏🙏🙏

      ✍️  ममता गुप्ता, 

          टंडवा, झारखंड

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