बेदर्दी जमानें में हर वक्त बेगैरत रही ( गज़ल):-जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
• अज्ञानी की कलम •
गज़ल
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मिलती न कब किसी को सौहरत रही,
बेदर्दी जमानें में हर वक्त बेगैरत रही,,
स्वार्थी जग बस ईश की पूजा कर रहे,
नर हर वक्त किसी को कहावत रही,,
जान काया किसी की संग न गई,
फिर भी तेरी यह मानुष बेमुरव्वत रही,
माँ की ममता का कोई न शानी जहाँ,
जीवन फांको में काटे है गरीबी रही,,
कुछ सुकर्म कर जाते तुम जीते जी,
मरते वक्त लोग कहते इंसानियत रही,,
जग बीति कहानियाँ सब जानते,
सब मानें कि उसकी सराफत रही,,
प्रेम सबसे करों छोड़ घृणा को दो,
अब बांकी तुम्हारी यहाँ शरारत रही,,
स्वरचित एवं मौलिक रचनाकार
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झाँसी उत्तर प्रदेश
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धन्यवाद
हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार)
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