शीर्षक :- जिन्दगी
नित्य नए संघर्षों से भरी,
कभी जीत की खुशी,
तो कभी हार का गम,
उलझन सी है जिन्दगी।।
मार्ग के बाधाओं को धकेलती,
नित्य नए राह बनाती,
पूर्णता से जा मिलती,
धारा सी है जिन्दगी।।
सीधे पथरीले संकरीले,
घुमावदार रास्तों सी,
हर पल नए सबक सिखाती,
पाठशाला सी है जिन्दगी।।
इठलाती बलखाती लहराती,
लहरों के थपेड़ों से लड़ती,
कभी हिचकोले खाती,
तो कभी संभलती,
भंवर में पड़ी नाव सी है जिन्दगी।।
©रचनाकार:- आ० किसलय किशोर
(मुजफ्फरपुर, बिहार)
This poem is composed by Kislay Kishore. Many many congratulations and many best wishes from the Sahitya AajKal team for creating the best creation.
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हरे कृष्ण प्रकाश
(युवा कवि, पूर्णियां बिहार)
(साहित्य आजकल व साहित्य संसार)
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