9/9/23

तिरंगा चाँद पर फहरा, बढ़ाया मान भारत का (गीतिका):- बाबा बैद्यनाथ झा

तिरंगा चाँद पर फहरा, बढ़ाया मान भारत का (गीतिका)

:- बाबा बैद्यनाथ झा

 आधार :- "विधाता छन्द" (गीतिका)

समान्त- "आन"

पदान्त- "भारत का"


गया सकुशल पहुँच अपना, वहाँ प्रज्ञान भारत का।

तिरंगा चाँद पर फहरा, बढ़ाया मान भारत का।


परिश्रम हो गया सार्थक, हुए तब धन्य वैज्ञानिक,

विजयश्री देख जग करता, अभी यशगान भारत का।


सभी सम्पन्न देशों का, हुआ है दर्प अब खण्डित,

सबल हम हैं दिखा सबको, कराया भान भारत का।


सदा आलोचना करते, अचम्भित लोग वे ही अब, 

प्रगति के गीत गा करते, सुधा रसपान भारत का। 


यहाँ  पर  घात करते हैं, कई जयचन्द ही घर के,

दनुज वे चाहते होना, सदा अवसान भारत का।


कहो  अब  कौन  रोकेगा, हमारे इस विजय रथ को?

अभी जग और देखेगा, सफल अभियान भारत का।


कृपा है कृष्ण की "बाबा", हमारे देश के ऊपर,

सतत होता रहेगा अब, क्रमिक उत्थान भारत का।


©️बाबा बैद्यनाथ झा

   पूर्णियाँ(बिहार)


This poem is composed by Kislay Kishore. Many many congratulations and many best wishes from the Sahitya AajKal team for creating the best creation.

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धन्यवाद

    हरे कृष्ण प्रकाश 

  (युवा कवि, पूर्णियां बिहार)

   (साहित्य आजकल व साहित्य संसार)






1 comment:

  1. विधाता छंद की अति सुंदर शानदार देशभक्तिपूर्ण गीतिका। सादर बधाई नमन आदरणीय बाबा वैद्यनाथ को मेरा।

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