" lआकार में छोटी मगर भाव में गंभीरता लिए होती है ,गोविंद भारद्वाज की लघुकथाएं !': सिद्धेश्वर
भाव, भाषा और प्रस्तुति का सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है गोविंद भारद्वाज की लघुकथाओं में !:इंदु उपाध्याय
पटना :19/9/23! हिंदी साहित्य में लघुकथा सृजन की प्रक्रिया, अब कोई नई विधा नहीं रह गई है l आठवें दशक से ही लघुकथा 'एक लघुकथा आंदोलन' के रूप में विकसित होकर, विश्व में इस तरह प्रसिद्ध हो गई है कि आज यह एक साहित्यिक विधा भी है और हिंदी साहित्य के लिए धरोहर भी l छोटे आकार वाली लघुकथाओं के माध्यम से ही प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद , खलील जिब्रान, मंटो आदि जैसे लेखकों ने पाठकों का ध्यान अपनी ओर विशेष रूप से खींचा l
ऐसी ही छोटे आकार वाली लघुकथाओं के माध्यम से, पाठकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में गोविंद भारद्वाज काफ़ी आगे नजर आते हैं l अधिक शब्दों का खर्च कर बड़े आकार में कविता या लघुकथा लिखना आसान हो सकता है, किंतु कहानी और उपन्यास नहीं l बल्कि कविता और लघुकथा के मायने से,शब्दों की कंजूसी एक सफल लेखक की पहली पहचान बनती है l
गोविंद भारद्वाज की तमाम लघुकथाओं को पढ़ने के बाद विश्वास के साथ हम कह सकते हैं कि कम शब्दों में बड़ी बात कहना गोविंद भारद्वाज की लघुकथा की विशेषता है l आकार में छोटी मगर भाव में गंभीरता लिए होती है गोविंद भारद्वाज की लघुकथाएं जो जन मानस के हृदय की धड़़कन बनने में पूरी तरह सक्षम है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में
, गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने डॉ गोविंद भारद्वाज की चुनी हुई लघुकथाओं पर लिखी गई अपनी डायरी प्रस्तुत करते हुए कहा कि --सार्थक लघुकथाएं एक दृष्टि में पढ़े जाने वाली नहीं होती बल्कि रुक रुक कर समझने और रसास्वादन लेने वाली होती है l कुछ ऐसी ही लघुकथाओं का सृजन आजकल गोविंद भारद्वाज कर रहे हैं l
मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार गोविंद भारद्वाज ने कहा कि- -लघुकथा में पैनी धार होनी चाहिए। कथ्य, शैली और कसावट लिए लघुकथा होनी चाहिए। शीर्षक बड़े न हों और शीर्षक के माध्यम से लघुकथा को खोले नहीं। एक से अधिक घटनाओं पर आधारित लघुकथा से बचना चाहिए। नयी थीम पर लघुकथा लिखनी चाहिए। आधुनिक घटनाओं का समावेश लघुकथा में होना चाहिए।
हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन की सार्थकता को रेखांकित करते हुए सपना चंद्रा ने कहा कि - साहित्यकार और चित्रकार सिद्धेश्वर जी के नेतृत्व में भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् ने पिछले चार दशकों से नवोदित,युवा एवं प्रतिष्ठित लघुकथाकारों को जोड़ने व विधा की सर्जनात्मकता को अभिनव आयाम देने में सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया है, जो अभिनंदनीय व प्रशंसनीय है।"
अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में सुप्रसिद्ध लघुकथाकार डॉ इंदु उपाध्याय ने कहा कि- भाव, भाषा और प्रस्तुति के सुन्दर समन्वय गोविंद भारद्वाज की लघुकथाओं में देखने को मिलता है l वस्तुत: लघुकथा विस्तृत वर्णन या विवरण नहीं है और न कोरा सन्देश है। यह जीवन के क्षण विशेष की गहन अनुभूति का सांकेतिक चित्रण है। सिद्धेश्वर जी ने ठीक कहा है कि लघुकथाकारों को काल दोष से बचना चाहिएl
उन्होंने अपने वक्तव्य को विस्तार देते हुए कहा कि--"आज हैलो लघुकथा मंच पर लघुकथा सम्मेलन का आयोजन हुआ है। इस मंच के सर्वेसर्वा श्री सिद्धेश्वर जी ने मुझे अध्यक्षता की जिम्मेदारी सौंपी। वैसे ऑनलाइन लघुकथा पाठ की शुरुआत करने का श्रेय तो इन्हें जाता है पर एकल पाठ यानि एक ही लघुकथाकार की 8 - 10 रचनाओं का पाठ हो ताकि रचनाकार का सही मूल्यांकन किया जाए,उनके द्वारा की गई यह शुरुआत अब एक अच्छी परंपरा बनती जा रही है। आज मुख्य अतिथि गोविंद भारद्वाज का एकल पाठ हुआ। उन्होंने अपनी एक दर्ज़न ताजा तरीन लघुकथाओं का पाठ कियाl इनकी रचनाएँ काफी सराही गई हैं और पाठ्यक्रम में भी शामिल है। मैं इन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। इन्होंने अपने साझा संकलन में मेरी रचनाओं को स्थान दिया है। लघुकथा पर बस इतना कहना चाहता हूं- ' हंसी- खुशी और मानव मन की व्यथा, शब्दों से संवर कर बन जाती है लघुकथा। '"
हेलो फेसबुक लघु कथा सम्मेलन में देशभर के नए पुराने लघुकथाकारों ने जबरदस्त लघुकथाओं को प्रस्तुत कर, लघु कथा के सृजनात्मक विकास का उदाहरण प्रस्तुत किया l अपनी-अपनी लघुकथाओं को प्रस्तुत करने वालों में प्रमुख थे -- इंदु उपाध्याय,मीना कुमारी परिहार, नलिनी श्रीवास्तव, रजनी श्रीवास्तव अनंता, राज प्रिया रानी, ऋचा वर्मा, चंद्रिका व्यास, सपना चंद्रा,सुनीता मिश्रा आदि l
इनके अतिरिक्त इस ऑनलाइन सम्मेलन में गार्गी राय,अपूर्व कुमार, रशीद गौरी, नंद कुमार मिश्र, सुनील कुमार उपाध्याय, संतोष मालवीय, वर्षा अग्रवाल, विनोद नायक आदि की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही l अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया संस्था की सचिव ऋचा वर्मा ने l
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{ प्रस्तुति ; राज प्रिया रानी [ उपाध्यक्ष ] एवं सिद्धेश्वर [ अध्यक्ष ]/ भारतीय युवा साहित्यकार परिषद / पटना / बिहार /
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हरे कृष्ण प्रकाश
(युवा कवि, पूर्णियां बिहार)
(साहित्य आजकल व साहित्य संसार)
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