12/21/24

फिजिकल टीचर को आखिर न्याय कब देंगे नीतीश कुमार??

   फिजिकल टीचर को आखिर न्याय कब देंगे नीतीश कुमार??  


बिहार के शारीरिक शिक्षकों का दर्द छलक उठा है। इनका कहना है कि सरकार उनकी नहीं सुनती है और बोलने पर पुलिस लाठीयों से मारती है। ऐसे में आखिर तमाम फिजिकल टीचर क्या करें? ना तो अपनी मां की दवाई ला सकते हैं और ना ही बच्चों की फीस भर सकते हैं। कम पैसों की वजह से घर का खर्च चलाने के लिए भी घर वालों से पैसे मांगने पड़ते हैं। आज फिजिकल टीचर की हालत काफी दयनीय हो चुकी है!


बिहार में नव नियुक्त शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक आर्थिक तंगी और वेतन विसंगतियों से जूझ रहे हैं - 

 महज ₹8,000 मासिक वेतन पर काम कर रहे इन शिक्षकों के लिए जीवनयापन करना अत्यंत कठिन हो गया है। उनकी शिकायतें और विरोध लंबे समय से जारी हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। आखिर करे तो क्या करे फिजिकल टीचर?



शिक्षकों की शिकायतें और चुनौतियां भी कम नहीं 

शारीरिक शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अपने परिवार का सामना करने में भी शर्म आती है। वे मां की दवा, बच्चों की फीस और दैनिक खर्चों के लिए पैसे नहीं जुटा पाते हैं । अधिकांश शिक्षक घर से दूर स्कूलों में तैनात हैं और किराए के मकानों में रहते हैं। ₹8,000 की तनख्वाह का बड़ा हिस्सा किराए और यात्रा में खर्च हो जाता है। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर करे तो क्या करे? 


बिहार में शिक्षा और मेहनत का कोई सम्मान नहीं - फिजिकल टीचर 

शिक्षकों ने लाखों रुपये खर्च कर मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन और B.P.Ed की पढ़ाई की। 2019 में STET पास करने के बाद तीन साल इंतजार करना पड़ा। 2022 में नौकरी मिलने के बाद भी वेतन की स्थिति दयनीय बनी रही। लगातार फिजिकल टीचर सरकार से अपनी बात बताते रहे हैं तब भी सरकार नहीं सुन रही है!



संघर्ष और आंदोलन का सिलसिला जारी 

शिक्षक प्रतिनिधियों ने कई बार पटना में धरना प्रदर्शन किया। अपनी शिकायतें सरकार और राजनीतिक दलों के नेताओं तक पहुंचाईं। 26 जुलाई और 25 अक्टूबर 2024 को पटना सचिवालय और जदयू कार्यालय का घेराव करने पर शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया गया। इससे शिक्षकों में गहरी नाराजगी और हताशा हो चुके हैं!


आगामी विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी - 

फिजिकल टीचर अब आंदोलन करने पर बेबस हो गए हैं जानकारी अनुसार जल्द ही फिर से फिजिकल टीचर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं!


शिक्षकों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर उनके जीवनयापन योग्य बनाने की मांग की है। सरकार से वेतन विसंगतियों को दूर करने और शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।






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