यूं तो आपने कई हिंदी कविताओं को पढ़ा होगा किन्तु खुद को प्रेरित करती कविता कम ही। तो चलिए साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित उत्तरप्रदेश की सलोनी यादव द्वारा खुद को प्रेरित करती हुई बेहतरीन स्वरचित कविता "कुछ करना है मुझे" पढ़ते हैं और आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।
शीर्षक :- "कुछ करना है मुझे"
शीर्षक :- "कुछ करना है मुझे"
आजकल बच्चों में आत्मविश्वास का
बढ़ता जा रहा है अभाव,
इसलिये लिखने बैठी हूं अपने मन के भाव,
कुछ करना है मुझे, कुछ करना है मुझे,
वही आश लिये है अपने सीने में,
क्योंकि कुछ करने का मजा है
जीने में आगे क्या होगा,
बताने वाला कोई फकीर नहीं,
और जिंदगी में कुछ भी नहीं मिले
ऐसी हाथों की लकीर नहीं,
कौन है, जो सब कुछ पा सकता है करके समर्पण,
अगर जान ना हैं तुम्हे, तो जाओ देख लो दर्पण,
आज पैसो के लिय बढती जा रही है
दुरिया अपनी ही रक्त की,
उन्हें नहीं पता, कीमत पैसे की नहीं
होती है तो वक्त की,
यू तुम थक कर ना बैठ रख हाथों पर हाथ,
क्या हुआ अगर पूरी दुनिया छोड़ दे
ईश्वर है तुम्हारे साथ,
तुम अपने हौसले और मेहनत से
बदल दो अपनी किस्मत,
क्योंकि इसके बाद ही किसी को
मिलती है जिंदगी में बरकत,
तुम्हें खुश रहना है तो छोड़ दो
अधिक कामने की तृष्णा ,
बुड्ढे, कामजोर और असहाय से मत करो घृणा |
रचनाकार - सलोनी यादव
(उत्तरप्रदेश )
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धन्यवाद :- साहित्य आजकल टीम
Bahut badhiya acchi poem
ReplyDeleteNice 👍
ReplyDeleteAll the best didi
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