लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित उत्तरप्रदेश की सलोनी यादव द्वारा समाज को जागृत करती हुई बेहतरीन स्वरचित कविता "जातिवाद एक मिथ्या " पढ़ते हैं और आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।
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जातिवाद (एक मिथ्या) - Saloni Yadav
सबको है अपनी ही जाति की शान
समाज में लोग इसी से हैं परेशान
बड़ा वही जिसके पास है विद्या
इसीलिये जातिवाद है एक मिथ्या
ऋग्वेद में जाति निर्धारित होता था कर्म से
तब लोग नहीं होते थे विचलित अपने धर्म से
अब छोड़ दो बड़ा छोटा का भेदभाव
यही ला सक्ता है एक सक्रात्मक प्रभाव
आज समाज में जातिवाद ने मचाया है हड़कंप
लोगो में आपसी दुश्मनी बढ़ेगी जब तक होगा नही इसका अंत
ऊंच-नीच है एक मासिक अवस्था
हमें मिलकर ख़त्म करना है ये नकारात्मक व्यवस्था
देश में खुशहाल हर व्यक्ति होगा
अपना समाज जब जाति बंधन मुक्ति होगा
बहुतो को डर होता है वर्ण भेद से
वर्ण परम्परा तो चली आ रही है अथर्ववेद से
जाति निर्धारन रो क दो वंश के आधार से
दोस्ती बढ़ाओ तालमेल, व्यवहार और अपने संस्कार से
जातिप्रथा समाप्त करना है तो शुरू करें अंतरजातीय विवाह
यही सही रास्ता है और यही हैं एक कवयित्री की सलाह
Name - Saloni yadav
Schooling - st Xavier's school salempur Deoria
College - J.S university Shikohabad ( Bse.)
Address - Jamua no. 2 Salempur
Deoria Uttar Pradesh
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