शीर्षक:- बिहार मांगे डोमिसाइल
-- हरे कृष्ण प्रकाश
बिहार की माटी फिर से गरजे,
हक की ज्योति जलानी है!
अब अन्याय के बादल छंटें,
इक नई सुबह हमें लानी है।
क्यों अपनों को पराया समझे,
क्यों हक से वंचित रह जाएं?
उठो अब संगठित हो हुंकार भरो,
हम अपनी ताकत यूं दिखलाएं।
मेहनत से हमने सींचा सबकुछ,
फिर क्यों बाहरी बने हकदार?
अपने ही घर में हुए हम बेगाने,
ये कैसा न्याय कर रही सरकार?
अब मत बांटो जाति-धर्म में,
बिहार हमारा यह नारा हो।
हमसब एक हैं, दुनिया जाने,
डोमिसाइल हक हमारा हो!
जो रचते हैं इतिहास यहां पर,
उनका भी तो सम्मान करो।
बिहार मांगे बस न्याय यहाँ,
अब और न हमें अपमान करो।
संघर्ष की उठेगी आंधी यहाँ ,
यूं ललकार गगन तक जाएगी।
अगर एकजुट हुए हमसब तो,
ये माँग हमारी पूर्ण हो जाएगी !
जय बिहार, हो जय बिहार
डोमिसाइल लागू करे सरकार!
स्वरचित कविता
कवि– हरे कृष्ण प्रकाश
व्हाट्सप्प :- 9709772649
प्रकाशित तिथि - 25/02/25
©®- Sahitya Aajkal
संपर्क :- sahityaaajkal9@gmail.com
Poem Published On- www.sahityaaajkal.com
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