कार्यक्रम का नाम - कलाम तुझे सलाम
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कार्यक्रम का नाम - कलाम तुझे सलाम
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गीत :- कलाम तुझे सलाम
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उर्वर भूमि भारत की,
जन्में एक से एक नौनिहाल ।
जाति - धर्म कुछ न जाने ,
देश समाज को अर्पित लाल ।
ऐसे थे सब महान सपूत देश के,
कंटक पार कर; शिखर तक पहुंच गये ।
सादा जीवन ; उच्च विचार इनके रहे ,
खोजी प्रवृति इनकी ; खोज में लगे रहे ।
न हिन्दु थे;न मुसलमान थे ,
थे विश्व प्रसिद्ध अनुसंधानक ।
जाति - धर्म कुछ न जाने ,
देश समाज को अर्पित लाल ।
न कोई जाति था , न कोई धर्म ,
सीखना ; सिखाना था उनका कर्म ,
केवल मानवता था जिनका धर्म ,
देशभक्ति थी जिनके जीवन का मर्म ।
देश के प्रथम नागरिक थे ,
ओ थे भारत विभूति महान ।
जाति - धर्म कुछ न जाने,
देश समाज को अर्पित लाल ।
लड़कों - बच्चों से करते अति स्नेह ,
अध्ययन - अध्यापन का शौक था ।
सदा लगे रहे बाँटने में ; विद्या धन,
चाहते थे देश को शक्तिशाली बनाना ।
कर दिए ऐसा अनुसंधान,
नाम हीं हो गया मिसाइल मैन ।
जाति - धर्म कुछ न जाने,
देश समाज को अर्पित लाल ।
जन्मदिन का शत् - शत् नमन,
भूल सकता नहीं ; देश तुम्हें ।
सहस्रों बार ; ' कलाम तुझे सलाम ' ,
मेरा सलाम; बारंबार सलाम तुम्हें ।
कमी खल रही देश में , अमर कृति तेरी ,
कलाम;कलाम;कलाम ।
जाति- धर्म कुछ न जाने,
देश समाज को अर्पित लाल ।।
बविमल कुमार,
सिपाही टोला , चूनापुर रोड, बिहार
प्रस्तुत रचना स्वरचित एवं मौलिक है ।
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