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10/17/21

अमिट... (लघु कथा) :- श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर

अमिट*****लघु कथा":- श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर 

  


आज की भोर कुछ सुहानी हो चली थी! प्रज्ञा अपने आप में मग्न कुछ गुनगुना रही थी! 

प्रज्ञा एक गिलास गुनगुना पानी दे"जी मैडम उसकी तंद्रा टूटी, वो हाथ का काम छोड़कर, किचन में पानी लेने चली गयी,! 

निलिमा जी वही किचन के बाहर सोफे पर बैठ गयी! एक बात तो है, प्रज्ञा, तुम्हारा काम बहुत व्यस्थित रहता है! टेबल पर रखे पेपर पर नजर डालते हुए, निलिमा जी बोली"

कोई न मैडम जी, आप अच्छे हो तो सारी दुनिया ही आपके लिए अच्छी है! 

निलिमा जी पेपर उठाते हुए मुस्कुराई"

पेपर के दूसरे पृष्ट पर नजर पडते ही चौक गयी, निलिमा जी, कुछ ही पल में कई विचार उनके मन में आये, उन्होंने प्रज्ञा की ओर देखा, वो अपने काम में मशगूल थी! 

प्रज्ञा,, जी मैडम, रामेश्वर कहाँ है! आजकल "वो तो तीन दिन से घर नही है! पार्षद जी के साथ दशहरा मनाने गये है, आजकल तो उनको भी भूत चढा है! बडे लोगों के साथ जाने का, मैडम जी, कुछ काम धाम करते नही, तो बडे लोग बुला लेते है! कितना भी समझाओ समझते नही, अपनी ही धुन मे बोले जा रही थी प्रज्ञा"

प्रज्ञा यहाँ आओ, जी मैडम जी, निलिमा जी, कपाट की ओर मुड गयी, 

वापस आयी तो उनके हाथ में सौ, सौ रूपये की एक गड्डी थी! 


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निलिमा जी ने चेतन को फोन किया, वो भी आ चुका था! वो हाथ बांधे खडा था! चेतन,, जी मैडम, प्रज्ञा को उसके घर छोड़ दो, प्रज्ञा चौंकी, वो दौडकर निलिमा जी के पास आ गयी, मैडम जी मैने कुछ गलती कर दी, वो गिडगिडाने, लगी, नही प्रज्ञा, निलिमा जी नोटों की गड्डी उसकी ओर बढा दी, प्रज्ञा तुम घर जाओ, बाद में फिर आना, आगे बोलने की हिम्मत न जुटा पायी निलिमा जी,

चेतन प्रज्ञा को उसके घर छोड़ दो, 

जी मैडम, निलिमा प्रज्ञा से नजरे चुराते हुए, अपने रूम की ओर बढ़ गयी! 

कितने ही सवाल छोड़ गयी, अपने पीछे प्रज्ञा के लिए "

चेतन भैया मैने कुछ नही किया, मैडम जी को अचानक से, जाने क्या हुआ'

ठीक है, अभी तुम चलो, मै "बाद में मैडम से बात कर लूंगा, 

निलिमा जी, डबडबाई आंखों से प्रज्ञा को जाते देखती रही, 

प्रज्ञा जा चुकी थी" उन्होंने ने अपने आंखों में छुपे आंसुओं को साफ किया"मन में चल रहे अंर्तद्धदं को झटका,लम्बी सांस ली, अब वो उस मासूम को को कैसे बताऐ, की  उसका पति दशहरे की भेंट चढ़ चुका है! 

भीड़ में किसी नेता की गाड़ी ने संतुलन खो दिया, और बहुत सारे लोग गाड़ी की चपेट में आ गये! उनमें से मरने वालो में एक उसका पति भी है!! 

                  समाप्त

श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर वरिष्ठ लेखिका "सहित्य संपादक"

रानापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत"


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