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10/13/21

संध्या काले वियोग की अभेलना:- विशाल लोधी

 

दोहा :-  संध्या काले वियोग की अभेलना 

दोहा :-  संध्या काले वियोग की अभेलना 

परी बिरह बन जानहुँ घेरी ।

 अगम असूझ जहाँ लगि हेरी ॥

चतुर दिसा चितवै जनु भूली । 

सो बन कहँ जहँ मालति फूली ?॥

कवँल भौंर ओही बन पावै ।

 को मिलाइ तन-तपनि बुझावै ?॥

अंग अंग अस कँवल सरीरा ।

 हिय भा पियर कहै पर पीरा ॥

चहै दरस रबि कीन्ह बिगासू ।

 भौंर-दीठि मनो लागि अकासू ॥

पूँछै धाय, बारि ! कहु बाता । 

तुइँ जस कँवल फूल रँग राता ॥

केसर बरन हिया भा तोरा ।

 मानहुँ मनहिं भएउ किछु भोरा ॥

पौन न पावै संचरै,

 भौंर न तहाँ बईठ ।

भूलि कुरंगिनि कस भई, 

जानु सिंघ तुइँ डीठ॥


✍️ विशाल लोधी 

मगरधा पथरिया जिला दमोह मध्यप्रदेश


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