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12/3/22

मम्मी मे बड़ी हो गई हुँ (कविता)- डॉ कमल गौतम

 जब एक लड़की के 35 टुकड़े किये गए तो कुछ लिखने का प्रयास किया की आज कल कई बच्चे क्या सोंचते हैं? कृप्या अपने सुझाव दे एक प्रयास है:



मम्मी मे बड़ी हो गई हुँ सारा काम खुद कर सकती हुँ, 

आप तो मुझे समझते नहीं पर दुनिया से लड सकती हूँ। 


मम्मी दीदी सही कह रही है आप हमें ना टोका करो

हम कुछ भी करें कहीं भी जाएं हमें कभी ना रोका करो। 


इनको कोन बतायेगा फूल स्वयं ना उगते है

इनको लगाने मे माली के अंग अंग भी दुखते है। 


माता पिता का अनुभव ही जीवन में काम आता है

माना वो ना समझे तो उनको समझाया जाता है। 


इस बात को नहीं समझा बच्चो ने तो टुकड़े गिनते रह जायेंगे

और बगिया के प्यारे फूलों का दरिंदे शिकार बनायेंगे। 


इसलिए एक दूसरे को आपस में ये समझाना है

एक दूसरे की समझ से चलता ये जमाना है। 


डॉ कमल गौतम

कोटा (राजस्थान)

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