जब एक लड़की के 35 टुकड़े किये गए तो कुछ लिखने का प्रयास किया की आज कल कई बच्चे क्या सोंचते हैं? कृप्या अपने सुझाव दे एक प्रयास है:
मम्मी मे बड़ी हो गई हुँ सारा काम खुद कर सकती हुँ,
आप तो मुझे समझते नहीं पर दुनिया से लड सकती हूँ।
मम्मी दीदी सही कह रही है आप हमें ना टोका करो
हम कुछ भी करें कहीं भी जाएं हमें कभी ना रोका करो।
इनको कोन बतायेगा फूल स्वयं ना उगते है
इनको लगाने मे माली के अंग अंग भी दुखते है।
माता पिता का अनुभव ही जीवन में काम आता है
माना वो ना समझे तो उनको समझाया जाता है।
इस बात को नहीं समझा बच्चो ने तो टुकड़े गिनते रह जायेंगे
और बगिया के प्यारे फूलों का दरिंदे शिकार बनायेंगे।
इसलिए एक दूसरे को आपस में ये समझाना है
एक दूसरे की समझ से चलता ये जमाना है।
डॉ कमल गौतम
कोटा (राजस्थान)
हमारे व्हाट्सएप से जुड़ें.. | हमारे यूट्यूब से जुड़ें |
सूचना:- साक्षात्कार देने हेतु यहाँ क्लिक करें
यदि आप अपना साक्षात्कार देना चाहते हैं तो आदरणीय यह साक्षात्कार देने हेतु साहित्य आजकल की आधिकारिक फॉर्म है। अतः इसे सही सही भरकर हरे कृष्ण प्रकाश के साथ अपना साक्षात्कार तिथि सुनिश्चित करवाएं।।
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com