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10/24/21

वो देखो चाँद आया :- रश्मि श्रीवास्तव 'सुकून'

 करवा चौथ पर विषेश प्रस्तुति ........

 वो देखो चाँद आया 

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 

कहीं बादलों में छुपता 

कहीं डूबता निकलता

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 

खेले छुपन छुपाई 

देते    तूझे दुहाई 

वो देखो चाँद आया 

इठलाता चाँद आया 

बलखाता चाँद आया 

उसका गुरुर देखो 

उसका सुरुर देखो 

उसको जरुर देखो 

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कैसा सलोना दिखता

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 

साजो श्रृंगार देखो 

रूपसी का हार देखो 

वो चाँद सा है दिखता

पर चाँद को है तकता 

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 

सोलह शृंगार करके 

व्रत और उपवास कर के 

निर्जल बिताये हैं दिन 

गिन गिन कर ये पलछिन 

तब जाकर कहीं वो आया 

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 

सखियों ये अर्ध्य देकर

 नेवेद्य से सजाकर 

कर लो यही विनती 

सौभाग्य की हो वृद्घि 

कर लो अब व्रत ये पूरी 

मनोकामना हो पूरी 

वो देखो चाँद आया 

करवा का चाँद आया 



रश्मि श्रीवास्तव 'सुकून'

दुर्ग छत्तीसगढ़

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चाँद जल्दी आना:- सुरेश भारद्वाज निराश

 करवा चौथ विशेष

चाँद जल्दी आना


चाँद ! जरा जल्दी से आना देखो आज तुम

आज  मेरे यार  का  मेरे  लिये  उपवास है


चाहत हूँ उसकी मैं वो भी  तो मेरी चाहत है

उसके लिये तुम खास हो मेरे लिये वो खास है


खाया नहीं सुबह से कुछ भी आज उसने देख

पिया नहीं है बूंँद पानी  लगी होगी प्यास है


तेरे भीतर ढूँडता है आज वो अपने प्यार को

सच में भीतर मेरे भी तो देख उसका वास है

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सज संवर कर बैठे हैं थाली सजाये आज वो

पहले तुझे देखना फिर मुझे देखने की आस है


देकर अर्घ्य तुझको वो मांगेंगे आयु लम्बी मेरी

वरदान तेरा मिलेगा उनको यह उन्हें विश्वास है


उनकी अवचेतना में चाँद मैं हूँ औ' मैं तुम हो 

दोनों ही  हैं साथ  उनके यह उन्हें आभास है


भूखे प्यासे रह के इतना कौन करता इस तरह 

बेचैन  हूँ उनके लिये मैं उनका मुझको त्रास है


ऐ चाँद तुझसे आज तक मैंने कुछ भी मांगा नहीं

सुखद जीवन उनका हो प्रार्थना है इक आस है


वो  हैं  तो  मैं भी हूँ वर्ना  जीना है मुश्किल मेरा

उनके बिन तो जिन्दगी में सच अधूरा 'निराश' है


सुरेश भारद्वाज निराश

धर्मशाला हिप्र

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सौभाग्य का प्रतीक है करवा चौथ:- रमाकांत सोनी

विधा कविता

विषय करवा चौथ


सौभाग्य का प्रतीक है करवा चौथ व्रत खास 

सुहागन नारियां करती लेकर करवा उपवास 


आरोग्य सुख समृद्धि दीर्घायु पाए सुहाग 

चंद्र रश्मियां उर में जगाती दांपत्य अनुराग 


सज धज नारी चौथ को करे सोलह श्रृंगार 

मन का मीत मनोहर चंद्रमा निरखे बारंबार 


व्रत खोले स्वामी संग दर्श सुधाकर पाकर 

बुजुर्गों का आशीष ले पति चरण को छूकर

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करवा चौथ भी ढल गया फैशन के नए दौर में 

पति अब पीस रहा नई फरमाइशो के शोर में


आस्था प्रेम समर्पण के मधुर स्नेह को दर्शाता है 

धवल चंद्रिका लिए घट में आलोक भर जाता है 


जीवन साथी के सुख की कामना करती हमसफ़र 

सद्भाव प्रेम आनंद से जीवन का कटता रहे सफर


रमाकांत सोनी नवलगढ़

जिला झुंझुनू राजस्थान


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11/4/20

करवाचौथ स्पेशल - प्रोग्राम साहित्य आजकल

सर्वप्रथम करवाचौथ के शुभअवसर पर सभी को बहुत बहुत बधाई सह ढेरों शुभकामनाएं। आज के इस पावन अवसर पर साहित्य आजकल के द्वारा करवाचौथ स्पेशल - प्रोग्राम साहित्य आजकल का आयोजन किया गया है जिसमें कई रचनाकारों ने एक से बढ़ कर एक  बेहतरीन स्वरचित रचना के माध्यम से प्रोग्राम को यादगार बना दिया है। सभी रचनाकारों की रचना नीचे एक एक कर दी जा रही है। आप सभी पढ़ें और प्रतिक्रिया दे कर रचनाकारों का उत्साहवर्धन अवश्य करें।

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 करवाचौथ रचना न:- ( 01 )
शीर्षक:- करवा चौथ 

सौभाग्यवती का पावन पर्व,

सिन्दूर  से  माँग सजाती है।

दीर्घायु  की  कामना  करती,

पत्नी करवा चौथ मनाती है।

          सोलह श्रृंगार से सजती सजनी,

       मेहंदी  हाथ   सजाती  अपनी।

        पति का प्यार पाती अर्द्धांगिनी,

         आज मुस्काई चाँद की चाँदनी।

आज चलनी से जो देखती चाँन,

पति के हाथों  करती जल पान। 

उसे सदा सुहागन का दे वरदान,

चन्द्र देव   हो  गये  अन्तर्ध्यान।

        पत्नी वही पति धर्म निभाए,

         सुख - दुख में वो सदा सहाय।

          सास -ससुर  बड़ों का  आदर,

       सेवा से स्वर्गीक सुख पाय।

गृहिणी गृह की होती लक्ष्मी,

सदा  दीजिए  मान सम्मान।

जहाँ पूजनीया होती नारियाँ,

वहाँ   प्रसन्न  होते  भगवान।

        करवा  चौथ  या तीज  करै ,

        व्रत उपवास कर ध्यान धरै।

        पुत्र पौत्रादि से घर भर जाए,

        मंगल कामना पूर्ण हो जाए।

*************************

यह मेरी मौलिक एवं सुरक्षित रचना है।

           ✍️ विजय कुमार,*कंकेर*

                  औरंगाबाद, बिहार।

बहुत ही मधुर गीत जल्दी click करें वीडियो देखें




            करवाचौथ रचना न:- ( 02)

         शीर्षक:- करबा चउथ सबइया 

आई हबइ करबा केर चउथ, ता साया औ सारी लेआए परी हो  

चारि दिना से जरउसा चढ़ी, तबहूँ हमहूँ का नहाए परी हो 

शंकर थापे परी, पहिले सगले अंगने का लिपाए परी हो 

धोती मा नीक न लागब ता, नबा जींस बेसाहि के लाए परी हो


आपुन पार्लर जाइ रहीं, पर मोरे निता फुलई हबइ माटी  

मीजि के मूड़ नहाइ लिहा, रहि जाइ न मूड़े मा रुइसी औ खाटी  

तेल लगाइ निकारा जुआँ, खुब अइछिके चीकन पारा तू पाटी  

भूख लगी जो ता खाइ लिहा, गोरसी तर मूंदा हइ चोखा औ बाटी 


घाम से काला लुआठा भएन, जस कोइला खदान से आयन भाई 

साबुन सोडा फुलेल लगाएन, देह मा नाहिं देखान गोराई  

एंड़ी कबो पथरा मा घसी, खपड़ा से घसी नहिं जाइ बेबाई  

अत्ते मा प्यारी देखाइ परी, लकालक्क सजी, गमने जस आई 


दूरिन से बिदुराइ परी, अस नीक लगीं ऊ जोधइया के नाई  

फूल के नाईं हँसइ महकइ, बजे पाजेब लागइ बजइ शहनाई  

आज जबइ हँसि बोलति हइ, अस नीक लगे, मिसरी घुरि जाई  आने दिना बढ़नी कस नीछत, चाबत हांड़ा दतइया के नाईं 


✍️कवि सन्तोष पाण्डेय "सरित" 

     गुरु जी गढ़ रीवा (मध्यप्रदेश) 

अपने हाथों में चाँद छुपा रखा हूँ ! पूरा वीडियो देखने के लिए click करें




करवाचौथ रचना न:- ( 03 )

शीर्षक:- सरहद पर चाँद

************

आज करवा चौथ है

मगर थोड़ा अफसोस भी है

कि मेरी चाँद

अपनी चाँदनी से दूर

सरहद की निगहबानी में

मगशूल है।

फिर भी मुझे 

अपने चाँद पर गर्व है,

माँ भारती की सेवा/रक्षा

सबसे पहला धर्म है।

माना कि मेरा चाँद

मुझसे दूर है,

तो क्या हुआ?

मैं तो मन वचन कर्म से

अपना कर्तव्य निभाऊंगी,

खूब सज सवंर कर

नई नवेली दुल्हन बन

मन के भावों से

अपने साजन को दिखाऊंगी,

हँसी खुशी व्रत,पूजा पाठ कर

सारे धर्म निभाऊंगी,

माँ पार्वती, शिव,गणेश, करवा माई से

अपनी अरदास लगाऊँगी,

पति की सलामती का

आर्शीवाद लेकर रहूंगी,

चंद्रदेव का दर्शन कर

अर्घ्य चढ़ाऊँगी

आरती उतारुँगी,

फिर अपने चाँद का

चाँद में ही दीदार करुँगी,

तब जल ग्रहणकर

करवा चौथ का सुख पाऊंगी,

खुशी से अपने चाँद की खातिर

जी भरकर नाचूंगी, इतराऊँगी।

✍️सुधीर श्रीवास्तव

       गोण्डा(उ.प्र.)

©मौलिक, स्वरचित

बेटी हैं जग में तो हम सभी हैं जरूर सुनें गर्व करें बेटियों पर वीडियो देखें



करवाचौथ रचना न:- ( 04 )

 शीर्षक:- करवाचौथ

करवाचौथ का दिन आया

हर सुहागिन करती उपवास

पति के लिए

माँगे दुआएं लंबी उम्र का

करवाचौथ का दिन आया

काजल,बिंदी,सिन्दूर, चूड़ी, मेंहदी

सोलह  श्रृंगार करें

देखें चाँद को

पति के हाथ से पानी पीकर 

उपवास तोड़े

करवाचौथ का दिन आया

ख़ुशी से पहनू

पहनू लाल साड़ी

दुल्हन जैसे  श्रृंगार करके

देखें तेरा रास्ता

आ जा सजन मन हैं बेचैन

माँगू दुआ हर विपत्ति कट जाये

चारों तरफ तू ही तू नजऱ आये

करवाचौथ का दिन हैं प्यारा

सास के हाथ से सरगी खा कर

मन हो जाये तृप्त

तुम ही दी मेरे सजन

जो सुहागन 

करवाचौथ का दिन मिला 

आपके आशीर्वाद से

जोडूं पूरा  श्रृंगार देकर

 तुमकों आशीर्वाद सदा सुहागन का लू

करवाचौथ का दिन आया।।

✍️अर्पणा दुबे 

अनूपपुर मध्यप्रदेश।



               करवाचौथ रचना न:- ( 05 )

करवाचौथ विशेष कविता

शीर्षक-कशिश महताब जैसी

-----------------------------------

कशिश तेरी महताब जैसी, 

महताब में नज़र तू आने लगी।


इश्क और मुश्क तुझसे दीवाना तेरा,

दिल की गली प्यार की इक कली लगाने लगी।


संग तू है तो और कोई नहीं मेरी हमराज़~ए~तमन्ना,

तेरे होने से वीरान दिल में रोशनाई आने लगी।


लाज़मी है चाँद का गुमाँ टूटना,

आखिर मेरी चाँद के आगे 

उसकी चमक फीकी पड़ने लगी।


जब से दो जिस्मों में एक जान बसने लगी,

प्यार की दुनिया आबाद होने लगी।

@अतुल पाठक "धैर्य"

जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)



                 करवाचौथ रचना न:- ( 06)


शीर्षक:- करवा चौथ

कोरोना में देखा है

लोगों के रंग उड़ते

इस बार मुझे रचाना है

अपने हाथों में मेहंदी

हाथों को सजाना है

मानवता के गहरे रंग से

मेरे हाथों का सौंदर्य बढ़ 

जाएगा चौथ का सुंदर चाँद

हमारी खुशी चौगुनी कर जाएगा।

पैरों में सजेगा महावर 

ये महावर हमें मार्ग दिखायेगा

सद्कर्म की ओर हमें ले जाएगा

मेरे माथे का कुमकुम व बिंदिया

सोच को नयी दिशा दिखलायेगा

चलनी का चाँद मन को पवित्र

 विचारों की किरणों से भर देगा

करवा का शीतल जल हमारे मन 

को शीतल कर तृप्त कर देगा

मेरा देश अखण्ड सौभाग्यशाली

बनें जब उसे निहारें तो चारों ओर

खुशियों की किरणें बिखरी व 

लहलहाती  नज़र आये 

सब बहिनों के सुहाग अमर रहें

ऐसी खुशहाली देश की सीमा को 

आलोकित कर जाएँ।

हे चौथ के चाँद तुम सीमा पर 

सुहाग की किरणें बिखराओ।

हमारे सैनिक भाइयों को हे चाँद

अपने अमरत्व सुहाग से चमकाओ।

✍️मीना जैन दुष्यंत 

         भोपाल



                  करवाचौथ रचना न:- ( 07)

कविता :-  करवाचोथ 

मेरी निजी पत्नी 

             करवाचोथ पर रूठ गई।             

   उसको समझाते समझाते    

भूखी प्यासी रह गई    

                 बार बार देखू उसको निहारू                 

                     जीवन में मिठास केसे पाऊ                     

         आप समझें मै समझा केंसे उसे मनाऊ।      

                    जीवन एक संगिनी  बंधन हैं                  

सदा बहती रसधार है 

आज करवा चोथ है      

हर पल आज मैं उसे मनाऊं।।

✍️ प्रवीण पंड्या वसी 

    डूंगरपुर राजस्थान


                    करवाचौथ रचना न:- ( 08 )


**तुम मेरा चांद बन जाओ ना!!**

खिल उठा है ये मन,आज मेरा सजन,

तूं पिया है मेरा,मैं तेरी हूँ दुल्हन ।

प्यार में मेरे दिल को यूं तरसाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना..

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


मांगती हूँ दुआं,साथ बस हो तेरा,

चांद की चांदनी ,रहूं बनके सदा।

अब तूं आंखों में बस जाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना,

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


प्रीत कायम रहे,ओ मेरे साजना,

रात-दिन प्यार हो,बस करूं कामना ।

एक-दूजे में खो जाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना।

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


                   ---प्रीतम कुमार झा ।

               महुआ, वैशाली, बिहार ।

प्रस्तुत रचना पूर्णतः मौलिक और स्वरचित है।



                   करवाचौथ रचना न:- ( 09 )

शीर्षक:-  करवा चौथ 🌹🌹🌹


करवा चौथ मनाऊ ऐसे 

लगे हर रोज़ ही ये उत्सव है।

नहीं चाहिए प्रीतम कुछ भी

बस सम्मान का गहना देना,

बाबुल का घर छोड़ मै आई

तुम मुझे वो अपना घर देना।

सजा सकू,सवार सकू, हर दीवार पे

नाम अपना लिख दू,

ये ही अनमोल दौलत होगी मेरी 

तुम मुझे यही तौहफा देना।

शब्दो की मर्यादा रखना, मै इसे ही

चुनरी समझ लूंगी।

विश्वास मुझ पर बनाए रखना, मै इसे 

ही पैरों की पायल समझ लूंगी।

अन्नपूर्णा हूं मै तुम्हारे घर की जो बनाती हूं 

उसमे जी जान लगा देती हूं,स्नेह,प्यार ,

समय सब उसमे मिला देती हूं,

जब वो खाना खाओ तो प्रसाद उसे तुम समझ लेना।

मैं अर्धागीनी हूं तुम्हारी,

तुम्हारे अंग में,तुम्हारे घर में,

तुम्हारे सभ्य समाज में,तुम्हारे परिवार में,

तुम्हारे कुल में,मेरा आधा हिस्सा है।

वो अधिकार मेरा है,

मेरे वजूद से तुम्हारा भी वजूद जुड़ा है।

पर मै जताती नहीं हूं।

इक छोटी सी आशा रखती हूं,

जब भी करवाचौथ आए तुम पास रहो मेरे।

साथ रहो मेरे।

क्युकी तुमसे ही मेरी दीवाली,

तुमसे तीज त्यौहार,तुमसे ही मेरी होली।

चांद भी तुम हो,

तो क्यों देखू मै उसे,

बस तुम रखो साथ अपने सदा मुझे,

यही इक छोटा सा वादा चाहिए तुमसे 

मुझे।।

✍️ नगेन्द्र बाला बारेठ

हाल निवासी दिल्ली

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करवाचौथ रचना न:- ( 010 )

शीर्षक:- अखण्ड सुहाग व्रत करवा चौथ

 -----------------------

 करूं अखण्ड सुहाग की कामना,

जीवन में न होवे कष्टों से सामना।

रहूं सौभाग्यवती करूं करवा चौथ,

सच्चे मन से करूं ईश्वर से प्रार्थना। 


पति मेरे सुख दुःख के सच्चे साथी,

सोलह श्रृंगार कर बनी जीवनसाथी।

पूजा कर आरती चांद का मैं उतारूं,

लंबी उम्र की कामना हृदय में लाती।


 है पावन बहुत करवा चौथ का व्रत, 

चांद के दीदार कर सुहागन तोड़े व्रत। 

खिला पूनम का चांद मन को भाता,

भारतीय नारियों का करवा चौथ व्रत। 

 

दांपत्य जीवन में सुखद पल है लाते,

लम्बी उम्र पाकर साजन दीर्घायु होते। 

मिट्टी के करवे में है देखो प्यार उमड़े,

सुख-शांति घर में समृद्धि भी आते।


सोलह श्रृंगार कर करती अर्ज नारी,

हे मां आशीष दो मैं आंचल पसारी। 

रहे अखंड सुहाग सजे सिंदूर हमारा,

जन्मों का बंधन न टूटे जोड़ी हमारी।

--------------*---------

            स्वरचित रचना 

         सुनीता रानी राठौर

        ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

           गृह नगर- पटना

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करवाचौथ रचना न:- ( 011)

करवाचौथ पर विशेष

छोड़कर घर परिवार भाई बान्धवों को

एक अजनबी संग बंधी चली आती है


अपनों से ज्यादा इस नये परिवार बीच

खुशी खुशी खरा प्यार अपना लुटाती है


रखती है पति के समग्र ही विकास हेतु

चौथ मैय्या जी का ब्रत फूले न समाती है


ऐसी हर नारी पे दयाल हो भवानी भी तो

अपनी कृपा के कृपा फूल बरसाती है


                ✍️  विष्णु असावा

                  बिल्सी ( बदायूँ )


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करवाचौथ रचना न:- ( 012 )

शीर्षक:- करवाचौथ रखने का जिद

करवाचौथ रखने का जिद

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मेरे पति जी अनुनय से

बोले, करवाचौथ रख लो।

मेरा भी उम्रे बढाके

जीवन में खुशियाँ भर दो।

मैं बोली हे स्वामी प्रिय

   आप लिए तिज रखती हूँ।

    आपको कुछ हो ना जाय

 आगे-पीछे फिरती हूँ।

पति हेतु एक व्रत काफी

दूजा ख्यालें रखते हो।

ख्वाबें!उम्र बढ जाने की

पर खर्चों से डरते हो।

     हाँ!करवाचौथ भी रख लूँ

    मैं उस पल से डरती हूँ।

तेरे काले स्थूलों से

     मान डुबो से बचती हूँ।

जब तू आगे आओगे

काली रजनी रोयेगी।

चाँद देख भी लूँ मैं तो

पर रात काली होवेगी।

 ✍️  प्रभाकर सिंह

   भागलपुर बिहार


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धन्यवाद

हरे कृष्ण प्रकाश

व्हाट्सएप :- 7562026066



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करवा चौथ पूजन विधि:- परमानंद पांडेय

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*करवा चौथ ०४ नवम्बर, २०२० पर विशेष*

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*करवा चौथ पूजा मुहूर्त*

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पुजा समय -०६:०४ पी एम से ०७:१९ तक

उपवास  समय - ०६:४० ए एम से ०८:५२ पी एम तक

चौथ तिथि शुरू - ०३:२४ ए एम से ०४ नवम्बर २०२० 

समाप्त - ०५:१४ ए एम तक 

०५, नवम्बर २०२० 

बहुत ही मधुर गीत जल्दी click करें वीडियो देखें

करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है। इस दिन पति की लम्बी उम्र के पत्नियां पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती  है। 


 सुहागन महिलाओं के लिए चौथ महत्वपूर्ण है। इसलिए इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख की मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है।


*करवा चौथ महात्म्य*

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छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

अपने हाथों में चाँद छुपा रखा हूँ ! पूरा वीडियो देखने के लिए click करें

महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।


महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है।


*चौथ की पूजन सामग्री और व्रत की विधि*

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*करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री*

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कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।

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व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का  विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।


*करवा चौथ पूजन विधि*

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प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।

व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।


व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है- 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'


*अथवा*

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ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का, 

'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 

'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का तथा 

'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें।


शाम के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।


भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।


सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रोदय के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खा कर व्रत खोले।


*करवा चौथ प्रथम कथा*

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बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।


शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।


सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।


वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।


उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।


सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।


एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।


इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है।


सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।


अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।


करवाचौथ द्वितीय कथा 

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इस कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।

परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।


*करवा चौथ तृतीय कथा* 

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एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।


यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी। हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।


*करवाचौथ चौथी कथा* 

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एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी नामक पर्वत पर गए। इधर द्रोपदी बहुत परेशान थीं। उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की। कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकरजी से किया था।


पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है। सोने, चाँदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है। पूजन करने के बाद महिलाएँ अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।


तब शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया। इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हर आने वाले संकट से वैसे ही कर सकती हैं जैसे एक ब्राह्मण ने की थी। प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी।


एक बार लड़की मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।


भाइयों से न रहा गया, उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण करो। बहन ने भोजन ग्रहण किया।


भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहाँ से रानी इंद्राणी निकल रही थीं। उनसे उसका दुःख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला।


अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा। उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। तभी से हिन्दू महिलाएँ अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती हैं।

सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।

पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।


*पूजा एवं चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त*

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०४ नवम्बर के दिन चंद्रोदय का समय 

०८:५२ पी एम मिनट पर

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। 


✍️✍️ परमानंद पांडेय

        लखनऊ उत्तरप्रदेश

               अध्यक्ष

अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास


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