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5/4/20

घुटनों के बल हो रहे ढेर- By:- हरे राम प्रकाश

घुटनों के बल हो रहे ढेर:- हरे राम प्रकाश

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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          शीर्षक:- 
  घुटनों के बल हो रहे ढेर:- हरे राम प्रकाश
  कल तक जो खुद को
  समझ रहे थे शेर!
  आज तो वही देश,
  घुटनों के बल हो रहे ढेर ।।

  खुद जो कहता था,
  पूरा मुल्क मेरी मुठ्ठी में है,
  बहा अश्रु की तेज धार,
  रहकर मौन होकर लाचार,
  आज वह सबों से कहता है,
  मेरी दुनियाँ हीं अचला के अंदर है।

  घरों में दुबके हैं अब लोग,
  शहर हो या हो गांव,
  सबके सब सुनी हो गई,
  बन्द हो गई ढेरों की आंखें,
  छूट रही है कइयों की सांसे,
  दफन को भी अब जगह नही,
  दफन को भी अब जगह नही।।
  मेरी दुनियाँ हीं अचला के अंदर है।

  इस धरा पर कल तक जो थे,
  पूरी दुनियाँ को सिमटाने वाले,
  आज अपनी हीं दुनियाँ देख,
  सिमटते वो खुद हो रहे बेचैन,
  खुद हो रहे बेचैन।।

  विश्व में मचा देख हाहाकार,
  कोरोना के उद्‌गम स्थल,
  पर करता रहता द्वंद प्रहार,
  मन ही मन प्रार्थना करता,
  ईश्वर से बस यही वो कहता,
  मेरी दुनियाँ हीं अचला के अंदर है,
  मेरी दुनियाँ हीं अचला के अंदर है।।
                        ✍️ हरे राम प्रकाश
                             (पूर्णियाँ, बिहार)

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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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