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12/4/22

गुम हुए एहसास जब...(ग़ज़ल)- कविता नामदेव



 ग़ज़ल

निशब्द:  जिंदगी  के  अल्फाज  ढूंढते   हैं ।

खाली नहीं दामन फिर मुकम्मल तलाश ढूंढते हैं।।


गुम हुए एहसास जब खुद से  बढ़ जाए ।

खाली वीरां आंखों का ख्वाबे-राज ढूंढते हैं ।।


 बिखरी हुई शाम के वो गुजरे हुए लम्हे ।

बीते हुए पलों का हम गमे-साज़ ढूंढते हैं ।।


कुछ दर्द ने कहा कुछ कलम ने लिखा ।

 बिखरे पन्नों में सवाल आज ढूंढते हैं ।।


आसमां सी चुभन लिए बैठे हैं आंखों में ।

हिज्र की खामोशी में अश्कों की प्यास ढूंढते हैं ।।


 उम्र बेसबब,बेतलब गुजरी वक्त के हाथों ।

बेनिशाँ सी कायनात को फिर पास ढूंढते हैं ।।


तर्के-उल्फत की एक-एक आरजू उलझ गयी ।

उलझनो का ,कविता, इंतिहा-ए-राज ढूंढते हैं ।।


खाली नहीं दामन फिर मुकम्मल तलाश ढूंढते हैं ।

   कविता नामदेव",...

नजीबाबाद (बिजनौर).

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