🙏 स्वयं बुद्ध हो जाओगे🙏
प्रज्ञा असीम करुणा की मूर्ति,
जिसने मानवता का राह दिखाया था।
शांति और अहिंसा का जिसने पाठ पढ़ाया था।
सब उनके संदेश को जन-जन तक फैलाओगे।
एक दिन फिर ऐसा आएगा, स्वयं बुद्ध हो जाओगे।
निर्मल हृदय निष्काम करो कर्म,
जानों अपनों और परायों का मर्म।
इसी तरह तुम सरल शुद्ध हो जाओगे।
एक दिन फिर ऐसा आएगा, तुम स्वयं बुद्ध हो जाओगे।
बुधं शरणं गच्छामि, धम्म शरणं की गूंज उठे
इस कठिन तपस्या से कोई ना रूठे।
समता,संयम का स्रोत बनो,
परिमल परिणाम बनाओगे
एक दिन फिर ऐसा आएगा
जब तुम स्वयं बुद्ध हो जाओगे।
त्याग किया सूत,अनुगामणी
वैभव और राज सिंहासिनी।
ज्ञान के लिए चल पड़े, मन में कुछ ठानी।
बिश्रांति अवस्था हो जाए,
सुख सबल और चिरमय होगा,
हो जाएं विशुद्धी भावों में
हर जीव यहां निर्भय होगा।
कल्याण करो जग को
तुम स्वयं सिद्ध हो जाओगे।
एक दिन ऐसा आएगा
तुम स्वयं बुद्ध हो जाओगे।
जीवन में खुशियां पानी है
मत उलझो भूत कालों में
मत सोचो भविष्यत कालों को
जीवन जिओ निर्भय होकर
अपने वर्तमान कालों को
बुद्ध के संदेशों को जन जन तक फैलाओगे
इसी तरह तुम सरल शुद्ध हो जाओगे
एक दिन ऐसा आएगा जब तुम स्वयं बुद्ध हो जाओगे।
✍️ कौशल किशोर
पटना बिहार
शिक्षक डीएवी स्कूल थावे गोपालगंज
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